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Good Luck Jerry Review: जान्हवी कपूर ने जेरी बनकर जमाया रंग,जाने देखें कि न देखें यह फिल्म

Good Luck Jerry Review: दक्षिण भारत की चर्चित फिल्मों की हिंदी रीमेक बॉक्स ऑफिस पर लगातार फेल हो रही हैं। ‘जर्सी’, ‘निकम्मा’, ‘हिट द फर्स्ट केस’ को देखने के बाद इसी के चलते फिल्म ‘गुड लक जेरी’ देखते समय भी ज्यादा उम्मीदें होती नहीं हैं। लेकिन फिल्म ‘गुड लक जेरी’ ओटीटी के दर्शकों के लिए मॉनसून सरप्राइज से कम नहीं है। जान्हवी कपूर और कुछ बेहतरीन चरित्र अभिनेताओं ने एक साथ मिलकर इस फिल्म को मनोरंजक बनाने की कोशिश की है। तमिल फिल्म ‘कोलामावू कोकिला’ की रीमेक ‘गुड लक जेरी’ अगर दर्शकों को गुदगुदाने और भावुक करने दोनों में काफी हद तक कामयाब रहती है तो ये इसकी कहानी का कमाल है। तमिल सिनेमा के चर्चित निर्देशक नेल्सन दिलीप कुमार की लिखी कहानी को हिंदी और पंजाबी मिश्रित कलेवर में पंकज मट्टा ने अच्छे से अनूदित किया है।
जेरी, चेरी और मां की कहानी
Good Luck Jerry Review: फिल्म ‘गुड लक जेरी’ को देखने की पहली वजह वैसे तो दर्शकों के लिए जान्हवी कपूर ही हैं। वह फिल्म में जया कुमारी उर्फ जेरी के किरदार में हैं। मसाज पार्लर में काम करने वाली घर की बड़ी बेटी के कहीं पैर न भटक जाएं तो मां उसके हाथ पीले करने के फेर में है। वह खुद भी मोमोज बनाकर घर चलाने की कोशिश करती रहती है। छोटी बेटी छाया कुमारी उर्फ चेरी अभी पढ़ रही है। घर में सिर्फ तीन महिलाएं ही हैं तो पड़ोस वाले अंकल भी खुद को घर का हिस्सा मान लेते हैं। अपना ये रिश्ता वह आगे चलकर निभाते भी हैं। कहानी पंजाब की पृष्ठभूमि में है और वहां होने वाले नशे का कारोबार इस परिवार की कहानी में एक हादसे के चलते घुल जाता है। जेरी को लगता है कि इसमें तो अच्छा पैसा है। मां के कैंसर का इलाज उसकी मजबूरी है। लेकिन, जेरी इस धंधे से बाहर आना चाहती है। कारोबारी नहीं मानते हैं तो फिर वह एक एक करके कैसे सबको निपटाती है, यही फिल्म ‘गुड लक जेरी’ की आगे की कहानी है।
जान्हवी कपूर ने जमाया रंग
Good Luck Jerry Review: जान्हवी कपूर की सिनेमा में बोहनी ही रीमेक फिल्म ‘धड़क’ से हुई। इस अपशकुन को छोड़ दें तो जान्हवी कपूर ने अपनी हर फिल्म में पिछली फिल्म से बेहतर होने की कोशिश लगातार की है। पिछले साल सिनेमाघरों में रिलीज हुई ‘रूही’ और उससे पहले सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई ‘गुंजन सक्सेना’ में भी जान्हवी के काम की तारीफ हुई। श्रीदेवी के डीएनए का असर कहें या उनकी अपनी लगातार खुद को मांजते रहने की जिद, जान्हवी कपूर हिंदी सिनेमा की काबिल अभिनेत्री के तौर पर खुद को धीरे धीरे स्थापित करने में सफल हो रही हैं। फिल्म ‘गुड लक जेरी’ में उनका किरदार बिहार से पंजाब आए परिवार की बड़ी बेटी का है। वह घर संभालने की जद्दोजहद में लगी हुई है। मां हमेशा चिढ़ी सी रहती है। रास्ते में एक दिलफेंक आशिक भी पीछे लगा रहता है। अलग अलग स्थितियों में जान्हवी का अभिनय अलग अलग भावों के साथ फिल्म को मजबूती प्रदान करता है और फिल्म देखने का असल यूएसपी भी वह ही हैं।
सिद्धार्थ और पंकज की जुगलबंदी
Good Luck Jerry Review: फिल्म ‘गुड लक जेरी’ को बिना ब्रेक के देखने में ही मजा है। हालांकि, फिल्म क्लाइमेक्स पर आकर थोड़ा लड़खड़ाती है और यूं लगता है कि फिल्म की कहानी का उपसंहार तलाशने में थोड़ी जल्दबाजी भी हो गई है। लेकिन, पंकज मट्टा और सिद्धार्थ सेन मिलकर फिल्म को संभालने में कामयाब रहे हैं। फिल्म के संवाद माहौल को जमाने में काफी मदद करते हैं। सिद्धार्थ सेन टेलीविजन और वेब सीरीज का चर्चित नाम हैं। सिनेमा में ये उनकी पहली कोशिश है। फिल्म का पूर्वार्ध बेहतरीन है। हंसी के तमाम मौके इस दौरान फिल्म में आते हैं। फिल्म लड़खड़ाना तब शुरू होती है जब जेरी एक के बाद एक सबको बेवकूफ बनाकर ड्रग माफिया के चंगुल से बाहर निकलने की कोशिश करती है। निर्देशक और लेखक के सामने चूंकि कहानी पहले से तय है तो इसमें ज्यादा फेरबदल की गुंजाइश भी कम ही रही होगी।
दमदार कलाकारों की चमकदार आकाशगंगा
पंकज मट्टा, सिद्धार्थ सेन और जान्हवी कपूर अगर इस फिल्म की त्रिमूर्ति हैं तो फिल्म में शामिल तमाम कलाकार इसकी आकाशगंगा से कम नहीं हैं। ये कलाकार ही फिल्म को असली राह पर ले जाते हैं। नौटंकीबाज मां के रूप में मीता वशिष्ठ ने प्रभावित करने में सफलता हासिल की है। टिमी बने सौरभ सचदेव कहानी में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं। डड्डू के रोल में मोहन कंबोज कहानी को लगातार सेंकते रहते हैं और अरसे बाद किसी ढंग के किरदार में दिखे सुशांत सिंह भी अपना असर छोड़ने में सफल रहे हैं। फिल्म में और भी तमाम कलाकार छोटे छोटे किरदारों में हैं और सब अपनी अपनी आहुतियां जरूरत के हिसाब से देते रहते हैं।
देखें कि न देखें
आनंद एल रॉय ने बतौर निर्माता फिल्म ‘गुड लक जेरी’ में संगीत के भी नए प्रयोग किए हैं। चिर परिचित गीतकार इरशाद कामिल की बजाय इस बार राजशेखर को उन्होंने मौका दिया है। संगीतकार पराग छाबड़ा और राजशेखर ने मिलकर कुछ अच्छी और नई संगत भी बनाने की कोशिश की है। फिल्म ‘गुड लक जेरी’ में इसके छायाकार रंगराजन रमाबादरान का काम खास तौर से उल्लेखनीय है। उनका कैमरा हर फ्रेम में आसपास के वातावरण को कहानी का हिस्सा बनाते चलता है। इस काम में कला निर्देशन टीम से भी उन्हें काफी मदद मिली है। इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्मों ‘विक्रांत रोणा’ और ‘एक विलेन रिटर्न्स’ दोनों से फिल्म ‘गुड लक जेरी’ कहीं बेहतर है और यही इस वीकएंड की आपकी ‘राइट च्वॉइस’ भी होनी चाहिए।