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FD vs Mutual Funds: FD सही या Mutual Fund में पैसा लगाना फायदेमंद? एक्सपर्ट से समझें हर बात

FD vs Mutual Funds अगर आप अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित और बेहतर रिटर्न देने वाले विकल्प में लगाना चाहते हैं, तो आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा- FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट बेहतर है या म्यूचुअल फंड? एक तरफ FD निवेशकों को गारंटीड रिटर्न और पूंजी की सुरक्षा देता है, तो दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में महंगाई को मात देने और ज्यादा रिटर्न दिलाने की क्षमता रखते हैं। लेकिन दोनों के बीच फर्क क्या है? जोखिम कितना है? टैक्स कैसे लगता है? और आखिरकार, आपके लिए कौन-सा विकल्प फायदेमंद रहेगा? यहां हम इन दोनों निवेश विकल्पों की तुलना करेंगे, ताकि आप अपने निवेश के फैसले समझदारी से ले सकें।

 

दोनों में क्या है फर्क

रिटर्न

फिक्स्ड डिपॉजिट एक सुरक्षित और निश्चित रिटर्न देने वाला निवेश विकल्प है। बैंक तय अवधि के लिए पहले से तय ब्याज दर पर गारंटी के साथ रिटर्न देते हैं। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो बिलकुल भी जोखिम नहीं लेना चाहते।

म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर आधारित होता है। ये फंड्स शेयर बाजार, बॉन्ड आदि में निवेश करते हैं, इसलिए इनसे अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है, लेकिन जोखिम भी अधिक होता है।

जोखिम

एफडी को कम-जोखिम निवेश माना जाता है। तय रिटर्न और DICGC के अंतर्गत ₹5 लाख तक की बीमा सुरक्षा इसे और भी सुरक्षित बनाती है।

 

म्यूचुअल फंड्स में जोखिम का स्तर उस फंड की प्रकृति पर निर्भर करता है। इक्विटी फंड्स में जोखिम अधिक होता है जबकि डेट फंड्स अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं। बाजार उतार-चढ़ाव का सीधा असर इन पर पड़ता है।

 

खर्चे

FD में कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगता। आपको ब्याज सीधे बैंक द्वारा आपके खाते में ट्रांसफर किया जाता है।

 

म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेजमेंट फीस, एडमिन चार्ज आदि लिए जाते हैं। इन्हें मिलाकर “एक्सपेंस रेश्यो” कहते हैं, जो फंड के प्रकार और एसेट मैनेजमेंट कंपनी पर निर्भर करता है।

 

निकासी सुविधा

FD में आप प्रीमैच्योर विदड्रॉल कर सकते हैं (अगर FD कॉलएबल हो)। हालांकि, इसके लिए सामान्यतः 1% तक ब्याज कटौती (पेनाल्टी) लगती है।

 

म्यूचुअल फंड्स में निवेश (ELSS को छोड़कर) आप किसी भी समय निकाल सकते हैं। कुछ फंड्स में जल्दी निकासी पर एग्जिट लोड लगता है, जो आमतौर पर 1% के आसपास होता है।

 

टैक्सेशन

FD से मिलने वाला ब्याज आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है।

 

TDS 10% लगता है अगर ब्याज ₹50,000 (सीनियर सिटिजन के लिए ₹1 लाख) से ज्यादा हो।

 

FY2025-26: ₹50,000 (₹1 लाख सीनियर सिटिजन के लिए)

 

FY2024-25: ₹40,000 / ₹50,000

म्यूचुअल फंड में टैक्स फंड के प्रकार और निवेश अवधि पर निर्भर करता है:

 

इक्विटी फंड:

 

12 महीने से कम = STCG @ 20%

 

12 महीने से ज्यादा = LTCG @ 12.5% (बिना इंडेक्सेशन)

 

डेट फंड:

 

टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है (जैसे सामान्य आय पर)

 

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निवेश का तरीका

FD में आप केवल लंप-सम (एकमुश्त) राशि निवेश कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उज्जीवन बैंक में सिर्फ ₹1,000 से FD शुरू की जा सकती है।

 

म्यूचुअल फंड्स में दो विकल्प हैं: लंप-सम और SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) एसआईपी से आप ₹500 जैसी छोटी राशि से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।

 

कौन है बेहतर

FD vs Mutual Fundsउज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक के मुताबिक, कम जोखिम, निश्चित रिटर्न चाहिए तो आपको FD में निवेश करना चाहिए। अगर आप लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न और महंगाई को मात देने का लक्ष्य रखते हैं तो म्यूचुअल फंड एक समझदारी भरा विकल्प है। निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता और समय-सीमा का मूल्यांकन जरूर करें।

 

(Disclaimer: ये कोई निवेश सलाह नहीं है बल्कि सिर्फ एक जानकारी है। रुपये-पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लें

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