Explainer: सिंदूर एक ज़हर का काम करता है इसे गलती से भी खाने से मौत हो सकती है,जाने सावधानियां
सिंदूर एक ज़हर का काम करता है इसे गलती से भी खाने से मौत हो सकती है
Explainer: सिंदूर एक ज़हर का काम करता है इसे गलती से भी खाने से मौत हो सकती है,जाने इस्तेमाल ना सिर्फ माथे पर लगाने के लिए होता है. बल्कि इसका इस्तेमाल भोजन पदार्थों को लाल रंग देने के लिए भी होता है आगे जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे
Explainer: सिंदूर एक ज़हर का काम करता है इसे गलती से भी खाने से मौत हो सकती है,जाने सावधानियां
क्या सिंदूर खा लेने से जान चली जाती है(Does eating vermilion lead to death)
यह धारणा काफी हद तक एक गलतफहमी है. सिंदूर में इस्तेमाल होने वाला पारंपरिक मरकरी सल्फाइड जहरीला होता है. लेकिन सामान्य तौर पर त्वचा पर इसका उपयोग एक छोटी मात्रा में किया जाता है, इसलिए यह हानिकारक नहीं होता है. हालांकि, यदि कोई व्यक्ति ज्यादा मात्रा में सिंदूर खा लेता है, तो यह खतरनाक हो सकता है. क्योंकि इसमें मौजूद मरकरी सल्फाइड शरीर में जहर का काम कर सकता है, जिससे सिरदर्द, उल्टी, पेट दर्द और गंभीर मामलों में किडनी और नर्वस सिस्टम पर असर पड़ सकता है. हां, सिंदूर का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन चुटकी भर खाने से तुरंत जान नहीं जा सकती.
सिंदूर के उपयोग में सावधानियां(Precautions in using Sindoor)
प्राकृतिक सिंदूर का उपयोग करें. कोशिश करें कि प्राकृतिक और हर्बल सामग्रियों से बना सिंदूर ही इस्तेमाल करें, ताकि रासायनिक नुकसान से बचा जा सके. खरीदने से पहले जांच लें कि सिंदूर में भारी धातु न हो. बाजार में कई सिंदूर ऐसे होते हैं जिनमें लेड (सीसा) या अन्य भारी धातुएं मिलाई जाती हैं. ऐसे सिंदूर से बचना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. सिंथेटिक सिंदूर का इस्तेमाल करने से बचें. सिंथेटिक सिंदूर सस्ता तो हो सकता है, लेकिन इसमें कई बार हानिकारक केमिकल होते हैं. जो त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं.
कितने दिन में तैयार होता है सिंदूर(In how many days is Sindoor prepared)
सिंदूर तैयार करने की प्रक्रिया सामग्री और उत्पादन के तरीके पर निर्भर करती है. परंपरागत रूप से और औद्योगिक रूप से बनने वाले सिंदूर में समय का अंतर हो सकता है.
इंडस्ट्रियल सिंदूर(Industrial Sindoor)
जब सिंदूर बड़े पैमाने पर फैक्ट्री में तैयार किया जाता है, तो इस प्रक्रिया में ज्यादा समय नहीं लगता. केमिकल (जैसे मरकरी सल्फाइड) और अन्य सामग्रियों को मिलाकर मशीनों द्वारा यह आसानी से बनाया जाता है. आमतौर पर, इसे एक दिन या कुछ घंटों में ही तैयार किया जा सकता है.
परंपरागत/घरेलू सिंदूर(Traditional/Homemade Sindoor)
परंपरागत तौर पर सिंदूर बनाने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है. इसमें प्राकृतिक सामग्री जैसे हल्दी, चूना और जड़ी-बूटियों का उपयोग होता है, जिसे सुखाने और सही मिश्रण तैयार करने में 2 से 3 दिन या कभी-कभी इससे अधिक समय भी लग सकता है.
कौन बनाते हैं सिंदूर(Who makes Sindoor)
फैक्ट्री में उत्पादन(Production in factory)
बड़े पैमाने पर सिंदूर का उत्पादन फैक्ट्रियों में किया जाता है. इसमें केमिकल इंजीनियर और टेक्निशियन काम करते हैं, जो सिंदूर के सही मिश्रण और उत्पादन की देखरेख करते हैं. ये कंपनियां सिंदूर के विभिन्न ब्रांड बनाकर बाजार में बेचती हैं
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स्थानीय कारीगर(Local artisans)
कई जगहों पर सिंदूर परंपरागत कारीगरों द्वारा भी तैयार किया जाता है. ये कारीगर ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं, जो प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से सिंदूर बनाते हैं. महिलाएं भी घरों में हल्दी और चूने से सिंदूर बनाती हैं, जिसे शादी और त्योहारों में इस्तेमाल किया जाता है.
आयुर्वेदिक कंपनियां(ayurvedic companies)
कुछ आयुर्वेदिक और हर्बल कंपनियां प्राकृतिक सामग्री से सिंदूर तैयार करती हैं. ये कंपनियां केमिकल फ्री और सुरक्षित सिंदूर बनाने के लिए जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करती हैं. इस प्रक्रिया में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है, क्योंकि सामग्री को तैयार और मिक्स करने में सावधानी बरती जाती है.
क्या सिंदूर का पौधा होता है(Is there a vermilion plant)
जी हां, सिंदूर का पौधा भी होता है. इस पौधे को अंग्रेजी में kumkum tree या kamila tree कहते हैं. ये एक ऐसा पौधा होता है जिसमें से जो फल निकलते हैं उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनता है. कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं, क्योंकि इसमें से जो रंग निकलता है उससे प्राकृतिक तौर पर आपके होठों को भी रंग मिल सकता है. इस पौधे का औषधीय महत्व भी है. इसका साइंटिफिक नेम Sinduri (Bixa orellana) है. इसके बीज और रूट्स से कुछ दवाएं बनती हैं.
कहां उगता है सिंदूर का पौधा(Where does the vermilion plant grow)
सिंदूर का पौधा दक्षिण अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में उगाया जाता है. भारत में यह पौधा महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ गिने-चुने इलाकों में ही उगाया जाता है. सिंदूर का पौधा आसानी से नहीं देखने को मिलता. इसके एक पौधे में से एक बार में एक या डेढ़ किलो तक सिंदूर फल निकल सकता है. इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो से ज्यादा होती है. कमीला का पेड़ 20 से 25 फीट तक ऊंचा होता है. यानी इसके पेड़ का फैलाव अमरूद के पेड़ जितना ही होता है.
पौधे से कैसे बनता है सिंदूर(How is vermilion made from plants?)
इसके पेड़ से फल से जो बीज निकलते हैं उसे पीसकर सिंदूर बनाया जाता है. यह बिल्कुल प्राकृतिक होता है, इससे कोई नुकसान नही होता. कमीला के पेड़ पर फल गुच्छों में लगते हैं जो शुरू में हरे रंग का होता है, लेकिन बाद में यह फल लाल रंग में बदल जाता है. उन फल के अंदर ही सिंदूर होता है. सिंदूर छोटे-छोटे दानों के आकार में होता है, जिसे पीसकर बिना किसी दूसरी चीजों की मिलावट के सीधे प्रयोग में लाया जा सकता है. यह शुद्ध होता है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता.
इसे खाया भी जाता है(It is also eaten)
इस सिंदूर का इस्तेमाल ना सिर्फ माथे पर लगाने के लिए होता है. बल्कि इसका इस्तेमाल भोजन पदार्थों को लाल रंग देने के लिए भी होता है. यानी कि इसे खाया भी जाता है. कमीला के पेड़ से निकले वाले संदूर का प्रयोग हाई क्वलिटी की लिपस्टिक बनाने में किया जाता है. इससे दवाएं भी बनती हैं. इसे लिपस्टिक के अलावा हेयर डाई और नेल पॉलिश जैसे कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है