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Edible Oil Prices : खाने वाले तेल हो गए सस्ते, सरसों, मूंगफली और सोयाबीन समेत कई तेल के दाम हुए कम…

Edible Oil Pricesएक्सचेंज में गिरावट के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को अधिकांश देशी तेल-तिलहन (सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल या सीपीओ एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल) के दाम टूट गये और हानि दर्शाते बंद हुए। जबकि खलों के दाम में आये सुधार के बीच मूंगफली तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट थी, जबकि शिकागो एक्सचेंज में सुधार का रुख है। बाजार सूत्रों ने कहा कि अगले महीने सरसों की नई फसल मंडियों में आने की संभावना को देखते हुए सरसों तेल-तिलहन में गिरावट आई है। सरसों में इस बार कोई प्रतिकूल स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं ने काफी नियंत्रित ढंग से सरसों के स्टॉक को बाजार में जारी किया।

 

मूंगफली और बिनौला खल के दाम में तेजी

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली और बिनौला खल के दाम में हाल के दिनों में सुधार देखने को मिला है। सभी राज्यों में इन खलों के दाम में 15-20 रुपये क्विंटल का सुधार आया है, जिसकी वजह से इन तिलहनों के खाद्य तेल के दाम टूटे हैं, जो मूंगफली तेल और बिनौला तेल में आई गिरावट का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम तेल के आयात की लागत 102 रुपये किलो के बराबर बैठती है। लेकिन पैसे की दिक्कत की वजह से आयातक बंदरगाहों पर इस तेल को लगभग 97 रुपये किलो के भाव बेच रहे हैं। इस कम दाम पर बिकवाली की वजह से सोयाबीन तेल कीमत में गिरावट है। उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के अलावा ऊंचे भाव पर लिवाल नहीं मिलने से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम भी टूटते नजर आये। इन तेलों के सिर्फ भाव ऊंचा बोले जा रहे हैं, वास्तव में लिवालों की पर्याप्त कमी है।

 

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तेल के दाम बढ़ते ही दूध के दाम बढ़ा दिये जाते हैं

Edible Oil Pricesसूत्रों ने कहा कि हमारे यहां के तेल विशेषज्ञ एवं समीक्षकों द्वारा मलेशिया में पाम, पामोलीन तेल के दाम में उठा-पटक और एवं आयात शुल्क के बारे में चिंता जताना उचित हो सकता है पर उन्हें इस बात पर भी विचार करना चाहिये कि उनकी चिंता केवल खाद्य तेलों की महंगाई को लेकर ही क्यों है? क्या उन्हें इस बात पर चिंता नहीं करनी चाहिये कि खल के दाम बढ़ते ही दूध के दाम बढ़ा दिये जाते हैं और कुछ समय पहले जब बिनौला खल के दाम टूट रहे थे तो भी दूध के दाम क्यों बढ़ रहे थे? इन विसंगतियों की ओर ध्यान दिये बगैर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाना असंभव है। उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी बनायी गई है कि खाद्य तेल के दाम में मामूली वृद्धि से बजट बिगड़ता है क्योंकि प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत की मात्रा काफी कम है। उल्टे वर्षों से दाम में ठहराव का सामना कर रहे खाद्य तेल के दाम बढ़ाने की पहल, किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने को प्रेरित करेगा और देश के बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च में कमी आयेगी।

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