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Cultivation of colorful cabbage:कम समय में इस गोभी की खेती कर बन सकते है धन्नासेठ,जाने इसे करने का सही तरीका

Cultivation of colorful cabbage

Cultivation of colorful cabbage:कम समय में इस गोभी की खेती कर बन सकते है धन्नासेठ,जाने इसे करने का सही तरीका ये रंग बिरंग गोभी की खेती आज के समय में बहुत ज्यादा मांग की जा रही क्योकि ये गोभी की खेती से किसानो को काफी फायदा हो रहा है इससे मिलने वाले कई लाभ बहुत लाभदायक होते हैं जिससे किसानो की रूचि इस खेती में बहुत ज्यादा हो रही है आगे जानने के लिए अंत तक बने रहे

Cultivation of colorful cabbage:कम समय में इस गोभी की खेती कर बन सकते है धन्नासेठ,जाने इसे करने का सही तरीका

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विदेशी खेती(Exotic cultivation)

 खेती के साथ-साथ विदेशी तरह की खेती भी करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं क्योंकि विदेशी उत्पादों से लाभ काफी ज्यादा मिलता है।विदेशी तरह की सब्जियों की खेती करना का से ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि विदेशी तरह की खेती करने से अधिक मुनाफा होता है।

इस आर्टिकल में आज हम आपको रंग बिरंगी गोभी खेती के बारे में बताने वाले हैं। रंग बिरंगी खेती काफी ज्यादा फायदेमंद होती है आपको बता दे रंग-बिरंगे यह भी कि के उपयोग से कई तरह की बीमारियां दूर होती है।

मिट्टी और जलवायु(Soil and climate)

रंगीन फूलगोभी की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच और जलवायु का ध्यान रखना चाहिये. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, रंगीन फूलगोभी के बेहतर उत्पादन के लिये तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिये

Cultivation of colorful cabbage:कम समय में इस गोभी की खेती कर बन सकते है धन्नासेठ,जाने इसे करने का सही तरीका

बुवाई के लिये खेत को जैविक विधि से तैयार करें, जिससे मिट्टी में जीवांशों की संख्या बरकरार रहे. ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिया. इसके लिये जल निकासी का प्रबंध करके कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग भी कर सकते हैं.

रंगीन फूलगोभी की बुवाई(Sowing of colored cauliflower)

सबसे पहले नर्सरी तैयार की जाती है. इसके लिये एक हेक्टेयर खेत के हिसाब से 200 से 250 ग्राम बीजों की बुवाई करते है, जिनसे 25 से 30 दिन के अंदर पौधे तैयार हो जाते हैं. इन पौधों को सिंतबर के अंत से लेकर अक्टूबर के बीच खेतों में बैड बनाकर कतार विधि से लगा दिया जाता है. इस दौरान लाइन से लाइन के बीच 60 सेमी. और पौध से पौध के बीच 45 सेंमी का फासला रखना चाहिये. खेतों में पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई की जाती है, ताकि मिट्टी में नमी कायम रहे

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