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बरसात के मौसम में इस विधि से करे उड़द की खेती, दुगनी पैदावार के साथ होगा तगड़ा लाभ

बरसात के मौसम में इस विधि से करे उड़द की खेती, दुगनी पैदावार के साथ होगा तगड़ा लाभ ,नमस्कार दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत में दलहनी फसलों की खेती उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ बिहार और हरियाणा के सिंचित क्षेत्र में की जाती है. जिसकी एक मुख्य फसल है उड़द. आपको बता दे की सभी लोगों को यहां दाल बहुत पसंद होती है. इस फसल को तैयार होने में लगभग 65 दोनों का समय लगता है इसमें की आपको कई सारे सेहतमंद विटामिन और वसा जैसे पदार्थ मिलते हैं. दोस्तों अगर आप ऐसे में उड़द की खेती करते हैं तो आप भी इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसलिए आज हम आपको उड़द की खेती के बारे में सारी जानकारी देने वाले हैं जिससे आपकी पैदावार में भी वृद्धि होगी. आई इसके बारे में सारी जानकारी हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से पता करते हैं.

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दोस्तों सबसे पहले तो बात आती है उड़द की खेती के लिए सही मिट्टी का चुनाव करना जिसके लिए आप हल्की रहती ली या दोमट मिट्टी का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि इस मिट्टी में आपको ज्यादा पैदावार देखने को मिलती है. आपको बता दे कि इसकी खेती के लिए पानी निकासी की सही व्यवस्था होना जरूरी है और इसी के साथ मिट्टी का पीएच मान भी 6.5 से 7.8 के बीच होना चाहिए. इसी के साथ इस फसल की बुवाई के लिए खेत को दो से तीन बार बारिश से पहले जुटा कर लेनी चाहिए और बारिश होने के बाद ब्वॉय कर देनी चाहिए जिससे की फसल की बढ़वार में आपको और मदद मिलती है. साथी आप इसकी खेती के लिए खरीफ में के.यू-309, के.यू-99-21, मधुरा मिनीमु-217, ए.के.यू-15 आदि किस्म की खेती कर सकते हैं यह काफी फायदेमंद होती है.

बरसात के मौसम में इस विधि से करे उड़द की खेती, दुगनी पैदावार के साथ होगा तगड़ा लाभ

साथ ही दोस्तों आपको बता दे कि अगर आप भी इसकी खेती खरीफ के सीजन में करना चाहते हैं तो आप जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त बारिश के बाद इसकी खेती कर सकते हैं. इसकी खेती के समय आप लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर के बीच रख सकते हैं. वही बात करें बीच की तो कर से पांच सेंटीमीटर की गहराई पर इसे बोना चाहिए. इसके बाद गर्मी के दिनों में उड़द की बुवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह तक की जाती है. दोस्तों वहीं अगर हम बीज मंत्र की बात करते हैं तो खरीफ के सीजन में आप प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीच का उपयोग कर सकते हैं और अगर आप इसकी खेती गर्मी में करते हैं तो आप इसके लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीच का प्रयोग कर सकते हैं.

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वहीं पर दोस्तों अगर आप इसके वीडियो का वीडियो प्रचार करके इसकी खेती करते हैं तो आपको काफी लाभ मिलता है. आपको बुवाई से पहले उड़द के बीजों को 2 ग्राम थायराम और एक ग्राम कार्बन दाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर लेना चाहिए साथ ही आपको बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 70 उस की साथ मात्रा लेकर इस प्रति किलोग्राम बीज को सोधित करना चाहिए. इसी के साथ आप इसकी अच्छी पैदावार के लिए कुछ उर्वरकों का भी प्रयोग कर सकते हैं जिसमें कि आपके प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 15 से 20 किलोग्राम और फास्फोरस को 40 से 50 किलोग्राम तक का प्रयोग कर सकते हैं. इसी के साथ आप 30 से 40 किलोग्राम पोटाश का भी प्रयोग कर सकते हैं जिसे खेत की अंतिम जुताई के बाद डालना चाहिए. वहीं पर 100 किलोग्राम डीएपी से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की पूर्ति हो जाती है.

वहीं पर अगर हम इसके सिंचाई की बात करें तो जायद के सीजन में उड़द की खेती 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है और इसके बाद पलावा करने के बाद बुवाई की जाए तो फिर दो से तीन सिंचाई की आवश्यकता होती है. जो की 15 से 20 दिन के अंतराल पर करना चाहिए. साथियों आपको बता दे की 60 से 65 दिनों के बाद जब उड़द की फलिया 70 से अधिक बिजली तक पक जाती है तो इसे हासिया से काट लेना चाहिए. इसके बाद आप इसे तीन से चार बार धूप में अच्छी तरीके से सुखाकर थेसर कर सकते हैं. अगर आप किसी विदिशा खेती करते हैं तो आपको उड़द का प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है. इसके बाद आप इसे अच्छी तरीके से सुख ले और बीजों का उचित भंडारण कर ले.

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