Chhattisgarh Latest News: छत्तीसगढ़ में तीन महीने का चावल बांटना हुआ फेल! 52 फीसदी लोगों को नहीं मिला राशन… जानें बजह…

Chhattisgarh Latest News छत्तीसगढ़ सरकार, चावल उत्सव योजना को पूर्ण रूप से चलाने में विफल होती नजर आई है. प्रदेश के अंदर राशन कार्ड धारकों को एक साथ तीन महीने का राशन यानि चावल नहीं मिल पाया है. आपको बता दें कि जून महीने में सिर्फ 48 प्रतिशत चावल बांटा गया है. NAIC वितरण सर्वर जुलाई यानि आज से बंद हो गया है. लेकिन केंद्र सरका को भेजे गए पत्र का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्र लिखकर 20 जुलाई तक करने के लिए कहा था.
मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के अंदर चावल उत्सव योजना के तहत राशन कार्ड धारकों को उचित मूल्य पर राशन के लिए न बुलाया गया है और न ही गोदामों पर चावल का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद था. इसके अलावा, कुछ जगहों पर तो 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से हिसाब से नकद भुगतान की बातें भी सामने आई हैं. इससे साफ पता चलता है कि योजना को बिना की तैयारी के लागू किया गया था. इसके अलावा, ई-पाश मशीन का सर्वर भी इस स्कीम में बाधा बन रहा है.
क्या है चावल उत्सव स्कीम?
पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान चावल उत्सव योजना की शुरूआत की गई थी. इस योजना के तहत हर महीने की पहली तारीख को चावल वितरण किया जाता था. मिली जानकारी के मुताबिक, इस व्यवस्था को छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 की धारा 7 (10) और आवंटन प्राधिकार पत्र की कंडका 25 में उल्लेख किया गया है.
निगरानी समिति का गठन
इस वितरण कार्यक्रम के दौरान नगरीय क्षेत्रों में विधायक, महापौर, पार्षद और ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच, पंच, जनपद, सदस्य भी शामिल होते थे. इसके लिए हर राशन दुकान पर निगरानी समिति का गठन अनिवार्य था. इसके अलावा, इस पूरी जानकारी को जनभागीदारी पोर्टल पर ऑनलाइन प्रकाशित भी की जाती थी. मिली जानकारी के अनुसार, पिछले 6 सालों के अंदर प्रदेश में किसी भी जगह पर चावल उत्सव नहीं मनाया गया. इतना ही नहीं जनभागीदारी पोर्ट से भी इससे संबंधित मॉड्यूल भी हटा दिया गया है, जिससे यह पता चलता है कि पारदर्शिता की पुरानी परंपरा अब खत्म हो चुकी है.
व्यवस्था पूरी तरह चरमराई
Chhattisgarh Latest Newsसूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस चावल उत्सव यानि तीन महीने का एक साथ राशन वितरण खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों के सलाह पर शुरूआत की गई थी. लेकिन जब यह व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई, तो आवश्यक नागरिक आपूर्ति निगम और परिवहन ठेकेदारों को दोषी बताया जा रहा है. जबकि परिवहन निविदा के दौरान चार माल वाहक की अनिवार्यता है.