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Kaali Mirch Ki kheti 2024: किसानो को बना देंगी धन्नासेठ ये काली मिर्च की खेती,जाने पूरी जानकारी

किसानो को बना देंगी धन्नासेठ ये काली मिर्च की खेती

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Kaali Mirch Ki kheti 2024: किसानो को बना देंगी धन्नासेठ ये काली मिर्च की खेती,जाने पूरी जानकारी

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तीखी मिर्च की खेती करने का तरीका(Method of cultivation of hot chilli)

काली मिर्च को मसालों का राजा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल हर घर की रसोई में होता है.खाने से लेकर पीने तक हर चीज में इसका इस्तेमाल किया जाता है.भारत पूरी दुनिया में काली मिर्च उत्पादन में सबसे आगे है.इसकी खेती दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है.

भारत के एक राज्य, केरल में ही 90% काली मिर्च का उत्पादन होता है.वहीं,भारत के अन्य राज्यों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही हैं. कई जगहों पर किसान इसकी खेती में सफल भी हुए हैं. हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र dimostand में भी काली मिर्च की खेती की गई है जो अब पूरी तरह से सफल हो चुकी है. यहां चाय के बागानों में पेड़ों के नीचे काली मिर्च उगाई जा रही है.

जानें पुरी जानकारी(Know complete information)

हजारीबाग कृषि अनुसंधान केंद्र के माली राजेश कुमार जानकारी देते हुए बताते हैं कि साल 2005 में परीक्षण के तौर पर हजारीबाग कृषि अनुसंधान केंद्र में काली मिर्च का पौधा लगाया गया था.पिछले कई सालों से इन पौधों से काली मिर्च की पैदावार हो रही है.उन्होंने आगे बताया कि काली मिर्च की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी.किसानों के खेतों और बगीचों में कई ऐसे पेड़ होते हैं जिनकी छाया में कोई भी फसल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाती.ऐसे में किसान उस पेड़ के नीचे काली मिर्च की खेती कर सकते हैं. यहां की काली मिर्च भी केरल की काली मिर्च की तरह ही मसालेदार और स्वादिष्ट होती है.दोनों को देखने में यह पता लगाना मुश्किल होगा कि दोनों को अलग-अलग जगहों में उगाया गया है. किसान शोध केंद्र जाकर इससे जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं.

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इसी सिलसिले में गोरिया कर्म, हजारीबाग में स्थित ICAR के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह बताते हैं कि काली मिर्च की खेती के लिए 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे की आयु 25 से 60 साल के बीच मानी जाती है. साथ ही, यह एक आलंबी पौधा है, इसलिए इसकी खेती पेड़ों के नीचे की जानी चाहिए ताकि काली मिर्च का पौधा उन पेड़ों के सहारे आसानी से बढ़ सके. इसके बीज किसानों को नर्सरी में मिल जाएंगे. इसकी खेती करके किसान छाया वाली जमीन में भी मुनाफा कमा सकते हैं.

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