धर्म

Anant Chaturdashi: आज मनाया जाएगा अनंत चतुर्दशी, जानें विधि-शुभ मुहूर्त और महत्व

Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह त्योहार मानाया जाता है। साल 2025 में यह त्योहार 6 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है साथ ही यह दिन गणपति पूजन के लिए भी विशेष माना जाता है। इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि गणेश चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा कैसे करनी है।

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त की पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 04:51 AM से 05:38 AM तक

प्रात: कालीन संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 05:14 AM से 06:24 AM तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:12 PM से 01:01 PM तक

साय: कालीन संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 06:49 PM से 07:57 PM तक

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। इस दिन सुबह स्नान-ध्यान आदि के बाद पूजा स्थल को भी शुद्ध करना चाहिए। इस दिन गंगाजल का छिड़काव पूजा स्थल पर करें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा आपको शुरू करनी चाहिए। पूजा में अक्षत, दुर्वा, पंचामृत, शुद्ध रेशम या कपास के सूत को भी आपको अवश्य रखना चाहिए। सूत को हल्दी से अवश्य रंगें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ आप कर सकते हैं।

 

पूजा के दौरान कुश से बने अनन्त जी और चौदह गाठों वाले धागे की विधि-पूर्वक गंध, पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य आदि से पूजा करें और संभव हो तो भगवान की कथा भी पढ़ें। फिर पूजा आदि के बाद अनन्त देव का ध्यान करते हुए उस धागे को अपनी बाजू पर बांध लें। पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में उस चौदह गांठों वाले धागे को बांधें। दरअसल अनन्त धागे की चौदह गांठे चौदह लोकों की प्रतीक मानी गई हैं। यह धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला और अनन्त फल देने वाला माना गया है। इसे धारण करने से हर तरह की मुसीबतों से रक्षा होती है और साधक का कल्याण होता है।

 

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Anant Chaturdashiअनंत चतुर्दशी पर करें इन मंत्रों का जप

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्मी नारायण नमः॥

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

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