धर्म

Akshaya Tritiya 2025: 29 या 30 अप्रैल अक्षय तृतीया कब? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि…

Akshaya Tritiya 2025 अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में यह बहुत महत्वपूर्ण और शुभ दिन माना जाता है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए किसी भी शुभ काम का फल अक्षय रहता है। इस साल यह पर्व (Akshaya Tritiya 2025) 30 अप्रैल, 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

यह दिन नए कामों की शुरुआत, विवाह, गृह प्रवेश और सोना-चांदी जैसी चीजों की खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है, तो आइए यहां इसके शुभ मुहूर्त से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

 

सोना खरीदने और पूजन का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने (Gold Buying Muhurat 2025) के लिए शुभ समय सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं, पूजा के लिए मुहूर्त (Akshaya Tritiya Puja Timing) सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya 2025 Significance)

अक्षय तृतीया के दिन पूजा का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। उन्हें फल, फूल, मिठाई और तुलसी दल अर्पित करते हैं। कई घरों में इस दिन विशेष हवन और दान-पुण्य के कार्य भी किए जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से भविष्य में धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

पूजा सामग्री (Akshaya Tritiya 2025 Puja Samagri)

रोली (कुमकुम)

चावल (अक्षत)

फूल (गुलाब, कमल, चमेली आदि)

धूप

दीप (घी या तेल का)

नैवेद्य (मिठाई, फल, खीर या जौ का सत्तू)

तुलसी दल

पीला चंदन

गंगाजल

अक्षय तृतीया पूजा विधि (Akshaya Tritiya 2025 Puja Vidhi)

Akshaya Tritiya 2025हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर अक्षय तृतीया की पूजा का संकल्प लें।

भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें।

अगर संभव हो तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पंचामृत से अभिषेक करें।

फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।

लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें और उनका शृंगार करें।

भगवान विष्णु को पीला चंदन और माता लक्ष्मी को कुमकुम का तिलक लगाएं।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को फूल अर्पित करें।

पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें।

धूप और दीप जलाएं।

सत्तू, खीर, मिठाई और ऋतु फल अर्पित करें।

इन मंत्रों “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” , “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमो नमः” का जाप करें।

अंत में आरती करें।

इसके बाद पूजा में हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगे।

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