कोल्ड ड्रिंक से हो सकता है कैंसर! WHO ने बताया चौंकाने वाला कारण…

Aspartame Sweetener: पिछले साल आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम पर फ्रांस में एक रिसर्च हुई थी. रिसर्च में कहा गया था कि एस्पार्टेम से तैयार होने वाले प्रोडक्ट को रोजाना के खानपान का हिस्सा बनाया जाता है तो कैंसर का खतरा है.सॉफ्ट ड्रिंक, च्युइंग गम और लो कैलोरी फूड में मिठास लाने के लिए मिलाए जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर से कैंसर का खतरा है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा आर्टिफिशयल स्वीटनर एस्पार्टेम का इस्तेमाल किया जाता है. इससे कैंसर का खतरा जताया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन जल्द ही इसे कैंसर का कारण बनने वाले केमिकल के तौर पर लिस्ट में शामिल कर सकता है.
यह दावा रॉयटर्स की रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की लीक रिपोर्ट में कई बातें सामने आई हैं. एस्पार्टेम पर अब तक हुईं 1300 रिसर्च की एनालिसिस के बाद सुरक्षा के तौर पर यह फैसला लिया जा सकता है.
क्या है आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम?
खाने-पीने और रोजमर्रा से जुड़ी कई चीजों में मिठास लाने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है. ये खास तरह के केमिकल होते हैं. एस्पार्टेम भी ऐसा ही एक केमिकल है. मार्केट में 1980 से ऐसे प्रोडक्ट्स की एंट्री शुरू हुई जिसमें एस्पार्टेम मौजूद था. इसमें डाइट कोक, डॉ. पेपर, फेंटा से लेकर डेजर्ट और टूथपेस्ट तक शामिल हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शुगरफ्री होने का दावा करने वाली खांसी की कई दवाओं में भी यह केमिकल मौजूद होता है.
एस्पार्टेम को रोग फैलाने वाला केमिकल घोषित करने की बात कैंसर पर अध्ययन करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने कही है. डेलीमेल की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है, हालांकि अब तक IARC ने सार्वजनिक तौ पर इसकी घोषणा नहीं की है.
WHO की लीक हुई रिपोर्ट में यह बात कही गई है, लेकिन WHO ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि आखिर किसी उत्पाद में एस्पार्टेम की कितनी मात्रा होनी चाहिए. फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन की JECFA समिति एस्पार्टेम का रिव्यू कर रही है.
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जब शक्कर है तो फिर आर्टिफिशियल स्वीटनर क्यों?
Aspartame Sweetenerऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि जब शक्कर का विकल्प मौजूद है तो फिर आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल क्यों किया जाता है. दरअसल, दावा किया जाता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स खास तरह के रसायन होते हैं जिनमें मिठास होती है पर इनके कारण ग्लूकोज नहीं बनता. नतीजा, इससे शुगर के लेवल पर असर नहीं होता. यही वजह है कि डायबिटीज के मरीज आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल अधिक करते हैं.