एक कैच ने पूरा वर्ल्ड कप बदल दिया

टी-20 वर्ल्ड कप के पूल-2 के मैच में वो ही नजारा देखने को मिला जो 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में दिखा था। इस मैच में जिस तरह कपिल देव ने उल्टे दौड़ते हुए विवियन रिचर्ड्स का करिश्माई कैच लेकर वेस्टइंडीज की बादशाहत खत्म कर दी थी। ठीक उसी अंदाज में नीदरलैंड के मर्व ने दक्षिण अफ्रीका के डेविड मिलर का कैच लपका।
टी-20 वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका का सफर रविवार को खत्म हो गया। नीदरलैंड ने ग्रुप-2 के एक मैच में अफ्रीका को 13 रन से हराकर उसे सेमीफाइनल की रेस से बाहर कर दिया। खास बात यह है कि अफ्रीका को बाहर करने में सबसे बड़ा हाथ उसी देश में जन्में और नीदरलैंड से खेलने वाले 37 साल के ऑलराउंडर रोल्फ वान डेर मर्व का रहा।
मिलर तब आउट हुए, जब उनसे बड़ी पारी की उम्मीद थी
मर्व ने बेहद अहम मौके पर डेविड मिलर का करिश्माई कैच पकड़ा था। रोल्फ ने डेविड मिलर का कैच तब पकड़ा, जब उनसे बड़ी पारी की उम्मीद थी। अफ्रीकी टीम 4 विकेट पर 90 रन के स्कोर पर थी। टीम को जीत दिलाने की जिम्मेदारी मिलर पर थी। मिलर ने भारत के खिलाफ ग्रुप मैच इसी तरह की सिचुएशन में आकर जितवाया था।
नीदरलैंड के खिलाफ मिलर जब आउट हुए, उस समय टीम को जीत के लिए 5 ओवर में 48 रन चाहिए थे। ऐसे में मिलर अगर क्रीज पर रहते तो अफ्रीकी टीम 159 रन के टारगेट को हासिल कर सकती थी। उसी समय रोल्फ ने मिलर का कैच पकड़ कर बाजी पलट दी।
अफ्रीकी पारी के 16वें ओवर की दूसरी गेंद पर मिलर ने बड़े शॉट की कोशिश की। गेंद उनके बल्ले का ऊपरी किनारा लेते हुए हवा में चली गई। बैकवर्ड स्क्वायर लेग पर फील्डिंग कर रहे रोल्फ वान डेर मर्व ने पीछे की ओर भागते हुए कैच लपक लिया। मिलर के आउट होते ही दक्षिण अफ्रीका की पारी पटरी से उतर गई। आखिर में नीदरलैंड ने मैच 13 रन से अपने नाम किया।
1983 वाले कैच की बदौलत विश्व विजेता बना था भारत
मर्व के कैच ने 1983 के वनडे वर्ल्ड कप के भारत बनाम वेस्टइंडीज फाइनल की यादें ताजा कर दीं। कपिल के उस कैच के चलते टीम इंडिया ने क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज को फाइनल में हराया था। विवियन रिचर्ड्स के इस कैच के बाद भारत ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता था।
अच्छे फॉर्म में थे विवियन रिचर्ड्स
1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में वेस्टइंडीज की शुरुआत अच्छी नहीं थी। पहला विकेट गॉर्डन ग्रीनिज के रूप में महज 5 रन पर गिर गया था। तीन नंबर पर आए दिग्गज विवियन रिचर्ड्स और डेसमंड हेंस ने 45 रन की साझेदारी की। इसके बाद हेंस आउट हो गए।
उसके बाद कप्तान क्लाइव लॉयड बल्लेबाजी करने आए। विवियन रिचर्ड्स 7 चौके लगाकर 33 रन पर खेल रहे थे और उनका साथ दे रहे थे लॉयड। उस वक्त यही लग रहा था कि वेस्टइंडीज की टीम आसानी से लक्ष्य हासिल कर लेगी, क्योंकि रन रेट साढ़े तीन रन प्रति ओवर से भी कम था।
कपिल ने 18 मीटर पीछे दौड़कर कैच लपका था
भारतीय टीम की जीत के लिए जरूरी था कि वो विवियन को पवेलियन भेजे। वो किसी भी हाल में मैच पलट सकते थे। कपिल देव ने मदन लाल को गेंद पकड़ाई। मदन लाल ने ऑफ स्टंप पर गुडलेंथ बॉल की। रिचर्ड्स ने मिड विकेट पर पुल शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन टॉप ऐज लगा और गेंद हवा में चली गई। मिड ऑन पर खड़े कपिल करीब 18 मीटर पीछे दौड़े और कैच लपक लिया। इसके बाद वेस्टइंडीज की पारी संभल नहीं पाई और पूरी टीम 52 ओवर में 140 रन पर आउट हो गई।
रोल्फ अफ्रीका के लिए खेल चुके है 13 वनडे और इतने ही टी-20 मैच
रोल्फ वान डेर मर्व का जन्म साउथ अफ्रीका में हुआ था। उन्होंने 2009 में साउथ अफ्रीका के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। उन्होंने अफ्रीका के लिए 13 वनडे और इतने ही टी-20 मैच खेले। 2015 में उन्हें डच पासपोर्ट मिला। उसी साल नीदरलैंड के लिए भी डेब्यू किया। नीदरलैंड के लिए वो 36 टी-20 और 3 वनडे खेल चुके हैं।
अफ्रीका को जीत के लिए चाहिए थे 159 रन
अफ्रीकी कप्तान ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया। नीदरलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट पर 158 रन बनाए। एकरमैन ने सबसे ज्यादा 41 रन बनाए। 26 गेंदों की अपनी पारी में उन्होंने 3 चौके और 2 छक्के लगाए। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 8 विकेट पर 145 रन ही बना पाई और वर्ल्ड कप से बाहर हो गई
