कौन बनेगा सीएम?

बेंगलुरू. कर्नाटक में विधानसभा का चुनाव होने में अभी कुछ समय बाकी है, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लिए अभी से विवाद सार्वजनिक हो गया है. इस सप्ताह मैसूर में एक प्रेस कांफ्रेंस में राज्य कांग्रेस के प्रमुख डी.के. शिवकुमार ने सीएम बनने की अपनी इच्छा को खुलकर पेश किया. जिसके बाद पार्टी के अन्य नेताओं ने उनके मुकाबले में खुद को पेश करना शुरू कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक 2023 के चुनावों के लिए कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष एम. बी. पाटिल ऐसा करने वाले पहले शख्स थे. शुक्रवार को पाटिल ने कहा कि कोई भी सीएम हो सकता है, यह वोक्कालिगा, लिंगायत, दलित, अल्पसंख्यक नेता हो सकता है. माना जाता है कि उनकी नियुक्ति शिवकुमार पर अंकुश लगाने की एक कोशिश है. पाटिल पूर्व सीएम और शिवकुमार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी और एक प्रमुख लिंगायत नेता भी हैं. गौरतलब है कि शिवकुमार ने दक्षिण कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय से कांग्रेस का समर्थन करने का अनुरोध किया था ताकि वह मुख्यमंत्री बन सकें.
पाटिल ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर सभी नेताओं के नाम पर विचार करेगी. पाटिल ने कहा कि ‘हम दूसरे दर्जे के नागरिक नहीं हैं … हमें अपने बल पर सत्ता में आना है, और फिर निर्वाचित विधायकों की राय के आधार पर आलाकमान फैसला करेगा और वह अंतिम होता है. हम सभी सीएम बनना चाहते हैं, लेकिन यह हमारी मर्जी के मुताबिक नहीं होगा.’
बीजापुर क्षेत्र के एक धनी शिक्षाविद् पाटिल ने खुद कांग्रेस के सत्ता में आने पर सीएम बनने की इच्छा जताई है. उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया के बाद वह सीएम बनना चाहते हैं. ‘मुझे आशा है लेकिन मैं लालची नहीं हूं.’ राज्य में सबसे बड़ा समुदाय लिंगायत विधानसभा की 224 सीटों में से 90 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करता है.
शिवकुमार के बयान का मुस्लिम नेता और पूर्व मंत्री जमीर अहमद खान ने भी विरोध किया, जो सिद्धारमैया के करीबी सहयोगियों में से एक थे. खान ने कहा कि आप केवल एक समुदाय के समर्थन से सीएम नहीं बन सकते. आपको सभी समुदायों के समर्थन की जरूरत होती है. हमारा समुदाय वोक्कालिगा समुदाय से बड़ा है और मैं सीएम बनना चाहता हूं, लेकिन क्या मैं अकेले मुसलमानों के समर्थन से सीएम बनूंगा?