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रवींद्र जडेजा को नहीं मिला सपोर्ट, CSK को ले डूबी ईगो प्रॉब्लम

IPL 2022 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) की शुरुआत बेहद खराब रही. इस बार महेंद्र सिंह धोनी की जगह रवींद्र जडेजा को कप्तानी सौंपी गई. लेकिन खुद जडेजा और टीम दोनों का ही प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा. टीम ने शुरुआती 8 में से सिर्फ 2 ही मैच जीते थे. ऐसे में टीम की कप्तानी एक बार फिर धोनी को सौंप दी गई.

धोनी ने बतौर कप्तान पहला मैच खेलते ही जीत हासिल की. इस पूरे मामले में 1983 वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम के दिग्गज विकेटकीपर सैयद किरमानी ने ‘आजतक’ से बात की. उन्होंने कहा कि जडेजा को टीम का फुल सपोर्ट नहीं मिला. टीम में धोनी के रहते जडेजा को कप्तान बनाया गया, ऐसे में कहीं ना कहीं ईर्ष्या की भावना पैदा हुई और टीम को ले डूबी. आइए जानते हैं पूरे मामले में किरमानी ने क्या कहा…

क्या बीच आईपीएल में कप्तानी बदलने का फैसला सही है?

किरमानी ने कहा, ‘हर एक की सोच होती है. यहां धोनी ने सोचा होगा कि युवा और नए खिलाड़ी को कप्तानी सौंपी जाए. जडेजा एक शानदार ऑलराउंडर भी हैं. हालांकि जडेजा कप्तानी का प्रेशर झेल नहीं सके, जबकि धोनी भी उनके साथ थे. सीएसके ने भी इस सीजन में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. जबकि वह आईपीएल की बेहतरीन टीम रही है. इसी वजह से जडेजा ने सोचा होगा कि मेरी वजह से ही टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है. शायद इसी वजह से उन्होंने धोनी को दोबारा कप्तानी सौंप दी.’

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उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शर्मिंदगी की बात नहीं कि आपने अच्छा प्रदर्शन नहीं होने के कारण कप्तानी छोड़ दी. यह एक टीम गेम है. टीम एफर्ट ही मायने रखता है. कप्तान भी अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो इसका असर टीम पर भी पड़ता है. इसी तरह से विराट कोहली भी अपनी कप्तानी के मामले में पीछे हट गए, क्योंकि पिछले 2-3 साल से उनका प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा है. वह बड़ी पारी नहीं खेल सके हैं. हर खिलाड़ी का यह व्यक्तिगत फैसला होता है. यदि कप्तान को लगता है कि उसका प्रदर्शन ठीक नहीं और इसका टीम पर असर पड़ रहा है. तब वह यही सोचता है कि इससे बेहतर है कि मैं कप्तानी छोड़ दूं. धोनी जैसा लायक कप्तान आज तक इंडिया में नहीं हुआ. इसके बराबर कोई भी नहीं आ सकता है.’

 

क्या एक विकेटकीपर बेहतर कप्तान हो सकता है?

किरमानी ने कहा, ‘बगैर विकेटकीपर के कोई टीम मैदान के अंदर नहीं जा सकती. एक टीम बगैर बॉलर और बैटर के मैदान में जा सकती है, लेकिन विकेटकीपर के बगैर नहीं जा सकती. हर एक टीम में विकेटकीपर अनऑफिशियल कप्तान होता है. वह एक जगह खड़े होकर पूरे मैच को रीड करता है. जब धोनी को भी पहली बार कप्तान बनाया गया था, तब मीडिया ने मुझसे यही सवाल पूछा था कि क्या ये सही फैसला है? मैंने तब भी कहा था कि इससे बेहतर फैसला कोई हो ही नहीं सकता है. तब टीम इंडिया में जो सोच आई थी, वह पहले कभी नहीं हुई. हमारे समय में भी ऐसी सोच नहीं थी कि विकेटकीपर को कप्तान बनाया जाए.’

पूर्व विकेटकीपर किरमानी ने कहा, ‘धोनी ने अपनी कप्तानी से साबित किया है और लोगों की सोच बदली है. धोनी ने एक पैगाम दिया है भारतीय सेलेक्शन कमेटी और बीसीसीआई को. इससे बेहतर पैगाम कोई हो ही नहीं सकता कि विकेटकीपर से बेहतर गेम को कोई और जज नहीं कर सकता. वह अंपायर के बाद सबसे बेस्ट पॉजिशन पर खड़ा होता है. धोनी को देखते हुए ही BCCI और IPL की फ्रेंचाइजीज में यह सोच बनी है कि हमें फ्यूचर कप्तान को ग्रूम करना होगा. विकेटकीपिंग कोई आसान काम नहीं होता है. यह बेहद मुश्किल काम होता है.’

 

जडेजा को IPL के दो दिन पहले कप्तानी दी गई थी

किरमानी ने कहा, ‘नहीं, इसकी जरूरत नहीं है. क्योंकि धोनी और जडेजा साथ में तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी20) खेल चुके हैं. ऐसे में यदि ओवरनाइट भी कप्तान बनाया जाए, तो कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए. बाकी जीत की बात है, तो वो टीम के सपोर्ट से होता है. टीम के हर खिलाड़ी को सपोर्ट करना होता है. हमारे समय में 1983 वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया में कपिल देव के नीचे 7 सीनियर खिलाड़ी खेल रहे थे. सभी ने मिलकर कप्तान को सपोर्ट दिया और इतिहास रच दिया. यह टीम यूनिटी होनी चाहिए. देखिए, कोई भी टीम ले लो, उसमें ईगो (Ego) की समस्या होती ही है. इसी की वजह से सारी दुनिया में प्रोब्लम है. धोनी को साथ में रखते हुए जडेजा को कप्तानी सौंपी गई. इससे अहंकार की भावना पैदा हुई. यहीं से सारा मामला बढ़ा और टीम सही नहीं खेल पाई.’

 

 

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