इस्लामिक धर्मगुरु ‘बगदाद’ से पहुंचे बस्तर, जलसा में होंगे शामिल

महान सूफी संत गौसे आजम के वंशज सैयद हाशिमुद्दीन अल गिलानी शनिवार को बगदाद से संभागीय मुख्यालय जगदलपुर पहुंचे हैं। यहां मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट में मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगों ने इस्लामिक धर्मगुरु का भव्य स्वागत किया। हाशिमुद्दीन अल गिलानी महान सूफी संत गौसे आजम की 19वीं पीढ़ी हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने इन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया है। इस्लामिक धर्मगुरु दो दिनों तक जगदलपुर में ही रहेंगे।
सैयद हाशिमुद्दीन अल गिलानी।
जगदलपुर पहुंचने के बाद सैयद हाशिमुद्दीन अल गिलानी स्थानीय कब्रिस्तान गए हैं। कुछ ही देर के बाद यहां शेख फरीद मस्त अली शाह के मजार पर फातिया और दुआ करेंगे। साथ ही शनिवार रात करीब 9 से 10 बजे के करीब वे जमाल मिल ग्राउंड में आयोजित जलसे और नातिया प्रोग्राम में शिककत करेंगे। वहीं 20 मार्च को अब्दुल हाशिम खान के निवास स्थल पर आमजनों से मुलाकात करेंगे। इस्लामिक धर्मगुरु के बस्तर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने देश के अलग-अलग शहरों से लोग भी पहुंचने लगे हैं।
मानवता और भाईचारे के लिए जानती है दुनिया
गौसे आजम को मानवता और भाईचारे के पैगाम के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। गरीब और भूखों को खाना खिलाना और बेसहारों की मदद करना जैसे बातें इनकी मुख्य सीख में से एक है। पूरी दुनिया में मुस्लिम समाज 11वीं के नाम से गौसे आजम का लंगर चलाया जाता है। विभिन्न धर्मों के बीच भाईचारे का पैगाम लेकर गौसे आजम के वंशज इस्लामिक धर्मगुरु बस्तर आए हैं।