स्वास्थ्य

*✍️अगर आपकी भी है ऐसी खराब आदते तो जरूर दे इस पर ध्यान नही तो आप हो सकते है बड़े बीमारी के शिकार….*

कोरोनावायरस जैसी महामारी के इस दौर में हम और भी कई घातक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इसी दौरान युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ रहा है. आखिर युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ क्यों रहा है, इसके बारे में जानने से पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिर ये ब्रेन स्ट्रोक है क्या?

ये हैं ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण

ब्रेन स्ट्रोक के मामले में हमारे दिमाग की आर्टरी (नस) में क्लॉट (थक्का) अटक जाता है और दिमाग में खून का प्रवाह रुक जाता है.

इस वजह से दिमाग का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है. ब्रेन स्ट्रोक को पहचानने के लिए लक्षणों के बारे में मालूम होना बहुत जरूरी है. ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों में जबान का फिसलना या तुतलाना, हाथ-पैर में कमजोरी, चेहरे का एक तरफ लटक जाना, बेहोशी आना, याददाश्त जाना शामिल है. ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं. पहला स्ट्रोक दिमाग की नसों में ब्लॉकेज की वजह से होता है जिसे आम भाषा में क्लॉट बोला जाता है. वहीं दूसरा स्ट्रोक दिमाग की नस फटने से होने वाले खून की लीकेज से होता है जिसे हेमरेज कहा जाता है.

ब्रेन स्ट्रोक के बाद तेजी से खराब होने लगता है दिमाग

डॉ. गुप्ता ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक से जुड़े इन दोनों मामलों की सही पहचान करना बहुत जरूरी है क्योंकि इन दोनों मामलों का इलाज अलग-अलग तरीके से होता है. उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक से जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर अपनी मर्जी से कोई भी दवाई न खाएं. ऐसी परिस्थितियों में तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. डॉ. गुप्ता ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक अचानक होता है. दिमाग की नसों में चल रहे खून के प्रवाह को रुकने में सिर्फ 4 से 5 मिनट का समय लगता है. खून का प्रवाह रुकने के सिर्फ 5 मिनट बाद ही दिमाग काम करना बंद कर देता है और इसके 10-15 मिनट के बार दिमाग गंभीर रूप से खराब होने लगता है.

 

युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ने के ये हैं प्रमुख कारण

युवाओं में बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के खतरे पर बातचीत करते हुए डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि हमारा लाइफस्टाइल हमारे नियंत्रण में नहीं है. आज के इस दौर में युवा तंबाकू, शराब और कॉफी जैसी कई चीजों के आदि हो चुके हैं. इसके अलावा आजकल के युवा अलग-अलग वजहों से काफी तनाव में रहने लगे हैं. युवाओं के सोने-जागने, खाने-पीने का कोई निश्चित समय नहीं है. व्यायाम न करना, मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, प्रदूषण भी स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में हैं. ये सभी चीजें हमारी जीवनशैली, शरीर और नसों को डैमेज करती हैं. ऐसे हालातों में हमारे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है और एंटी-ऑक्सीडेंट्स कम होता जाता है. यही वजह है कि युवाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है.

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