Cost of Ventilators: निजी अस्पतालों को पहले बताना होगा आईसीयू-वेंटिलेटर का खर्च, केंद्र ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए जारी की नई गाइडलाइंस

Cost of Ventilators निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर होने वाली मनमानी और भारी बिलिंग पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है। नई गाइडलाइंस के तहत अब अस्पतालों को मरीज के परिजनों को आईसीयू और वेंटिलेटर इलाज का पूरा खर्च पहले ही बताना होगा, साथ ही वेंटिलेटर शुरू करने से पहले परिजनों से लिखित पूर्व अनुमति (इनफॉर्म्ड कंसेंट) लेना अनिवार्य होगा। सरकार का मुख्य उद्देश्य वेंटिलेटर जैसे जीवनरक्षक उपकरणों के अनैतिक और अनावश्यक उपयोग पर लगाम लगाना है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) ने निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर उपयोग में पारदर्शिता के लिए दिशानिर्देश” जारी किए हैं।
‘इलाज के नाम पर लूट’ का अंत
medicalbuyer के मुताबिक, डीजीएचएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य निजी स्वास्थ्य प्रणाली में जनता का खोया हुआ भरोसा बहाल करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्रिटिकल केयर मरीज के लिए उपचार चुनौती होना चाहिए, आर्थिक बर्बादी का कारण नहीं। अब 14 दिनों से अधिक वेंटिलेशन पर रहने वाले हर मरीज का रिकॉर्ड सरकार के निरीक्षण के दायरे में होगा।
नई गाइडलाइंस के प्रमुख स्तंभ
सरकार ने नए नियमों को बायोएथिक्स के सिद्धांतों पर आधारित रखा है। अस्पतालों को अब निम्नलिखित नियमों का पालन करना होगा:
स्पष्ट और सूचित सहमति : वेंटिलेटर शुरू करने से पहले परिजनों को इलाज की जरूरत, जोखिम और इसके परिणामों के बारे में विस्तार से बताना होगा।
दैनिक खर्च का खुलासा: वेंटिलेटर और ICU केयर का प्रतिदिन का संभावित खर्च परिजनों को पहले ही बताना होगा ताकि वे वित्तीय व्यवस्था कर सकें।
एकसमान शुल्क ढांचा: अस्पताल के हर विभाग में वेंटिलेटर का शुल्क एक समान होगा। इसमें उपभोग्य वस्तुओं (फिल्टर, सर्किट आदि) की कीमत अलग से बतानी होगी।
पब्लिक डिस्प्ले: अस्पताल के बिलिंग काउंटर, ICU के बाहर और वेबसाइट पर सभी शुल्कों का स्पष्ट प्रदर्शन करना अनिवार्य है।
उपयोग-आधारित बिलिंग: अस्पताल केवल उसी समय का शुल्क ले पाएंगे जब वेंटिलेटर वास्तव में उपयोग में हो। स्टैंडबाय या खाली रहने पर बिलिंग नहीं की जा सकेगी।
टाइम-लिमिटेड ट्रायल (48-72 घंटे): अनिश्चित स्थिति वाले मरीजों के लिए 48 से 72 घंटे का ट्रायल दिया जाएगा, जिसके बाद समीक्षा होगी कि इलाज आगे बढ़ाना है या नहीं।
14 दिन की विशेष निगरानी: यदि कोई मरीज 14 दिन से अधिक वेंटिलेटर पर रहता है, तो एक मल्टीडिसिप्लिनरी कमेटी इसकी समीक्षा करेगी और अस्पताल को इसका आंतरिक ऑडिट करना होगा।
वेंटिलेटर मार्केट और पारदर्शिता की जरूरत
क्रेडेंस रिसर्च इंक. के आंकड़ों के अनुसार, भारत का वेंटिलेटर बाजार तेजी से बढ़ रहा है। साल 2024 में इसका बाजार 207 मिलियन डॉलर था तो वहीं साल 2032 में इसके 351.12 मिलियन डॉलर के होने का अनुमान लगाया गया है।
आयुष्मान भारत के पूर्व सीईओ इंदु भूषण के अनुसार भारत में डॉक्टरों और मरीजों के बीच ‘जानकारी का असंतुलन’ सबसे बड़ी समस्या है। अस्पतालों के पास मोलभाव की ताकत अधिक होती है। ये नई गाइडलाइंस उस अंतर को कम करेंगी और ऑडिट व्यवस्था को मजबूत बनाएंगी।
शिकायत निवारण प्रणाली
Cost of Ventilatorsनई गाइडलाइंस के तहत अब निजी अस्पतालों को एक समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणाली बनानी होगी। अगर परिजनों को बिलिंग में कोई गड़बड़ी या पारदर्शिता की कमी महसूस होती है, तो वे इसकी औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकेंगे। ये दिशानिर्देश न केवल मरीजों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वेंटिलेटर का उपयोग चिकित्सकीय आवश्यकता के आधार पर हो, न कि व्यावसायिक लाभ के लिए



