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NOTAM for Bay of Bengal: बंगाल की खाड़ी में 1400 KM तक भारत ने नो-फ्लाई जोन किया घोषित, NOTAM जारी होते ही पाकिस्तान और चीन में हड़कंप…

NOTAM for Bay of Bengal: भारत ने 6 से 8 दिसंबर की अवधि के लिए बंगाल की खाड़ी में करीब 1,400 किलोमीटर के एक विशाल क्षेत्र के ऊपर ‘नोटिस टू एयरमेन’ (NOTAM) जारी किया है. NOTAM एक आधिकारिक चेतावनी होती है, जिसे मिसाइल परीक्षणों से पहले जारी किया जाता है. 1,400 किलोमीटर तक के क्षेत्र को कवर करने वाले इस NOTAM के जारी होने से यह मजबूत संकेत मिलता है कि भारत इन तारीखों के बीच अपनी सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों में से किसी एक का महत्वपूर्ण परीक्षण कर सकता है, जो भारत की सैन्य क्षमताओं को और मजबूत करेगा.

 

 

ICBM मिसाइल की टेस्टिंग?

NOTAM एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई चेतावनी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी नागरिक विमान या जहाज परीक्षण के दौरान खतरे वाले क्षेत्र में प्रवेश न करे. 6 से 8 दिसंबर के बीच जारी किया गया यह 1,400 किलोमीटर की रेंज का NOTAM यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि DRDO किसी ऐसी मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी में है जिसकी रेंज बहुत लंबी है. इस रेंज की मिसाइलों में अग्नि-IV (करीब 4,000 किमी) या अग्नि-V (करीब 5,000 किमी) जैसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) शामिल हो सकती हैं. भले ही NOTAM की सीमा 1,400 किमी की हो, लेकिन यह अक्सर उस इम्पेक्ट जोन की न्यूनतम दूरी होती है जहां मिसाइल का अंतिम चरण में गिरेगा.

 

क्यों किया जा रहा परीक्षण?

यह परीक्षण ऐसे समय में होने की संभावना है जब भारत लगातार अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. अग्नि-V जैसी मिसाइलें भारत को अपनी ‘सेकेंड स्ट्राइक’ क्षमता को मजबूत करने में मदद करती हैं. 6 से 8 दिसंबर के बीच जारी यह NOTAM केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के लिए भी एक मजबूत सामरिक संदेश है कि भारत अपनी रणनीतिक ताकत के आधुनिकीकरण में लगातार आगे बढ़ रहा है.

 

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6-8 दिसंबर और मिसाइल की संभावना

6 से 8 दिसंबर के बीच का समय मिसाइल परीक्षण के लिए परिचालन विंडो के रूप में कार्य करेगा. यह DRDO को मौसम और लॉजिस्टिक्स के आधार पर सबसे उपयुक्त दिन चुनने का है. इतनी बड़ी समुद्री और हवाई क्षेत्र को सील करना स्पष्ट रूप से बताता है कि परीक्षण की जाने वाली मिसाइल की रेंज बहुत लंबी है. यह मिसाइल पूरे एशिया और यूरोप के हिस्सों को निशाना बनाने की क्षमता रखती होगी.

 

भारत की रक्षा रणनीति पर असर

चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देशों के मुकाबले भारत के पास विश्वसनीय जवाबी हमला करने की क्षमता होना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में, यह परीक्षण DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी मिसाइल तकनीक की सफलता और सटीकता को दुनिया के सामने प्रदर्शित करता है. लंबी दूरी की मिसाइलों का सफल परीक्षण वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक स्थिति और मजबूत होगी.

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