Bihar Election 2025: एक भी सीट नहीं जीत पाई प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज पार्टी… 98 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे जनसुराज और इसके संस्थापक प्रशांत किशोर के लिए बेहद निराशाजनक रहे। पार्टी का खाता तक नहीं खुला और उसके करीब 98 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर के लिए यह नतीजा एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है। हालांकि प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में लगातार दौरे किए, सभाएं कीं और खुद 239 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, लेकिन मतदाता जनसुराज को विकल्प के रूप में स्वीकार नहीं कर सके।
मतदाता स्थिर सरकार के पक्ष में दिखे
इस बार के चुनाव परिणाम साफ बताते हैं कि बिहार का मतदाता पूरी तरह सजग और जागरूक है। जनता ने किसी भी तरह की अनिश्चितता से बचते हुए स्थिर सरकार को प्राथमिकता दी। यही कारण है कि एनडीए (NDA) को दो-तिहाई से अधिक बहुमत मिला। मतदाताओं का मानना है कि एक मजबूत और स्थायी सरकार ही राज्य के विकास को तेज रफ्तार दे सकती है। जनसुराज को लेकर जनता के मन में यह भरोसा नहीं पनप पाया कि वह सरकार बनाने या लंबे समय तक चलाने में सक्षम है।
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प्रशांत किशोर 16 नवंबर को करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस
जनसुराज के सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर 16 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा और आगे की रणनीति साझा करेंगे। पार्टी नेताओं का कहना है कि चुनाव जीतने के लिए पूरी मेहनत की गई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर जनसमर्थन उम्मीद के मुताबिक नहीं मिला।
जनसुराज ने 243 में से 239 सीटों पर लड़ा था चुनाव
पार्टी ने लगभग पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की थी। 243 सीटों में से 239 सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार मैदान में उतरे। लेकिन नतीजे बताते हैं कि व्यापक प्रचार के बावजूद कार्यकर्ताओं को भी विश्वास नहीं था कि पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आएगी। यह बात चुनाव बाद और स्पष्ट हो गई, जब लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
वोटर जागरूक और राजनीतिक गणित समझने वाला
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि इस चुनाव में मतदाताओं ने समय, परिस्थिति और राजनीतिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए वोट दिया। जनता यह समझ चुकी है कि कौन-सा गठबंधन स्थायी सरकार बना सकता है और कौन केवल विकल्प भर है। जनसुराज को लेकर मतदाताओं का भरोसा कम था, जिस वजह से मतों का बड़ा हिस्सा एनडीए की तरफ गया और गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला।



