Delhi Blast 2025: फरीदाबाद में मिली आतंकियों की ओर एक कार, जानें क्या है ब्लास्ट से कनेक्शन

Delhi Blast 2025 दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए ब्लास्ट में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस मामले में काफी वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है, जिसका आंकड़ा सामने आ गया है। वहीं, दिल्ली ब्लास्ट के मामले में संदिग्ध इको स्पोर्ट्स DL 10 CK 0458 लाल रंग की गाड़ी को फरीदाबाद पुलिस ने बरामद किया है। कार खंदावली गांव के पास खड़ी मिली। कार की तलाशी पुलिस ने अभी नहीं ली है, जांच के लिए FSL और जांच एजेंसियों को बुलाया जा रहा है। पुलिस को शक है कहीं इस कार में विस्फोटक न हो।
कार खरीदने के लिए जाली दस्तावेज इस्तेमाल
एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि दिल्ली पुलिस उत्तर-पूर्वी दिल्ली के न्यू सीलमपुर स्थित एक पते पर पहुंची, जब उसे पता चला कि लाल किला विस्फोट मामले से जुड़ी एक लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट कार उस स्थान पर पंजीकृत है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जब रिकॉर्ड से पता चला कि कार डॉ. उमर उन नबी के नाम पर पंजीकृत है, तो टीम ने वाहन के स्वामित्व संबंधी विवरण की पुष्टि करने के लिए तुरंत घटनास्थल का दौरा किया। जांचकर्ताओं को संदेह है कि कार खरीदने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया होगा।
पुलिस सूत्र ने कहा, “कार के पंजीकरण पत्रों में दिए गए पते के आधार पर पुलिस न्यू सीलमपुर पहुंची, जहां उन्होंने निवासियों से पूछताछ की और दस्तावेजों की पुष्टि की।” इस दौरे के दौरान, उसी पते पर मदरसा चलाने वाले इमाम मोहम्मद तसव्वुर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्होंने इलाके में कभी कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं देखी।
उमर नबी के बारे में क्या मिली जानकारी
सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि उमर नबी धमाका करने से पहले दिल्ली के कमला मार्किट की एक मस्ज़िद में भी गया था और वहां करीब 10 मिनट रुका था। इसके बाद वो लालकिला की तरफ चला गया था।
इस मामले में आज Al Falah यूनिवर्सिटी से 50 लोगों को डिटेन किया गया है, इसमें 95% कश्मीरी हैं
फैज़ ए इलाही मस्जिद रामलीला मैदान के कोने में तुर्कमान गेट के सामने हैंं। इस मस्जिद में तब्लीगी जमात का काम होता है, जैसे निजामुद्दीन मरक़ज़ में होता है।
निजामुद्दीन मरकज़ से अलग होकर ही गुट ने तब्लीगी जमात का काम शुरू किया था।
डॉ शाहीन की थी बड़ी तैयारी, जानें
शाहीन सहारनपुर और हापुड़ में मिनी रिक्रूट-कमांड सेंटर के लिए कोई ऐसी जगह ढूंढ रही थी जो शहर से थोड़ा बाहरी इलाके में हो और वहां लोगो की गतिविधियां कम हो।
शाहीन इस सेन्टर में अंदर आतंकी ट्रेनिंग देती और बाहर एंजियो यानी संस्था का काम दिखाया जाता था। मौजूदा समय मे चल रही कुछ संस्था से इसके लिए बाकायदा संपर्क भी किया था शाहीन ने।
मुस्लिम गरीब लड़कियों की पढ़ाई और गरीबों का इलाज कराने के लिए फाउंडेशन बनाने की तैयारी कर रही थी ताकि टेरर फंडिंग में आने वाला पैसा जांच एजेंसियों की रडार पर ना आए
पिछले 6 महीने से शाहीन सेन्टर को बनाने के लिए तैयारी कर रही थी। सेन्टर में कुल 10 बड़े कमरे और एक तहखाने में बड़ा सा ट्रेनिंग हाल बनाने की तैयारी थी और इसके लिए बाकायदा बड़ी जगह ढूंढी जा रही थी।
इस सेन्टर में INTERNET का प्रयोग नहीं होता ताकि ट्रेनिंग करने वाली लड़कियां सोशल मीडिया से दूरी रखें और मकसद से ना भटकें।
इस सेन्टर में समय समय पर जैश के आतंकियों को कभी मौलवी तो कभी प्रबुद्ध वर्ग का बता कर उनके लेक्चर कराए जाते ताकि वो ट्रेनिंग करने वाली लड़कियों को जिहाद की तरफ पूरी तरह से धकेल सके।
Delhi Blast 2025इस सेन्टर में आतंकी ट्रेनिंग लेने आनी वाली महिलाओं को मुंतजिमा नाम दिया जाता, केवल ट्रेनिंग सेंटर में बाहरी हिस्से में ही अस्थायी दवाखाना और मुस्लिम छोटी लड़कियों के लिए स्कूल खोला जाता बाकी के हिस्से में होस्टल होता जिसमे ट्रेनिंग करने वाली लड़कियां रहती।



