धर्म

Krishna Janmashtami: कल मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, यहां जानें पूजन का सबसे खास मुहूर्त और विधि

Krishna Janmashtami श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12:58 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 10:30 बजे तक रहेगी।

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12:58 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 10:30 बजे तक रहेगी।मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि के चंद्रमा में मध्यरात्रि को हुआ था। इस बार मध्यरात्रि पूजन का शुभ समय 12:00 बजे से 12:43 बजे तक रहेगा।

जन्माष्टमी पूजा की सामग्री

यदि आप चाहते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा सुकून के साथ करें तो आपको पूजा से पहले सारी उसकी सामग्री इकट्ठा करके अपने पास रख लेना चाहिए. जन्माष्टमी की पूजा के लिए चौकी, उस पर बिछाने वाला पीला कपड़ा, कान्हा की मूर्ति अथवा उनका चित्र या फिर लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) की मूर्ति, भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार करने के लिए वस्त्र, मोरमुकुट, मोर पंख, बांसुरी, आभूषण, शंख, तुलसी दल, अक्षत, रोली, चंदन, केसर, पुष्प, माला, शुद्ध जल, जल रखने के लिए पात्र, कलश, गंगाजल (Gangajal), दूध, दही, धूप, दीप, शुद्ध घी, मक्खन, पंचामृत, धनिया पंजीरी केसर, नारियल कपूर, पान, सुपारी, मौली, शक्कर, साफ कपड़ा, कान्हा के लिए झूला, आदि रख लें.

 

जन्माष्टमी के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद ईशान कोण में चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को पीला कपड़ा बिछाकर रखें. इसके स्वयं भी अपने लिए आसन बिछाएं और उस पर बैठकर सबसे पहले पवित्र जल से खुद पर और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण पर छिड़कें. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को देखकर उनका ध्यान करते हुए पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें.

 

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इसके पश्चात् भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या फिर लड्डू गोपाल को एक बड़े पात्र या फिर परात में रखकर  पहले से तैयार किये गये दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनाए गये पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं और साफ कपड़े से मूर्ति को पोंछकर कान्हा का वस्त्र, आभूषण आदि पहनाकर पूरा श्रृंगार करें.

 

 

Krishna Janmashtamiफिर उन्हें यदि उपलब्ध है तो गोपी चंदन या फिर रोली, हल्दी, या केसर का तिलक लगाएं. फिर भगवान को पुष्प-माला, दूर्वा अर्पित करें. इसके बाद भगवान को नैवेद्य, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करने के बाद उस पर से जल फेर दें. भगवान का विधि-विधान से पूजा करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की चालीसा (Krishna Chalisa), मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ करें. पूजा के अंत में श्री कृष्ण की आरती करते हुए पूजा में कमीपेशी के लिए माफी और मनचाहा वरदान मांगें.

 

 

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