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Supreme Court on Road Accident: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक्सीडेंट से जुड़े 2 मामलों में सुनाए अहम फैसले… जाने किसे मिलेगा फायदा और कौन होगा मुआवजा का हकदार?

Supreme Court on Road Accident

सुप्रीम कोर्ट ने रोड एक्सीडेंट, मुआवजे और एक्सीडेंट क्लेम को लेकर 2 बड़े फैसले सुनाये हैं। जिसमें एक फैसला एक्सीडेंट क्लेम को लेकर है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई सड़क हादसे में स्वयं की गलती से मरते हैं तो दुर्घटना बीमा का भुगतान करने की लिए बीमा कंपनी बाध्य नहीं है। दूसरा फैसला मुआवजे को लेकर है कि यदि हादसे में किसी की मौत हो जाती है और उसके बेटे-बेटियां विवाहित हैं तो मोटर वाहन अधिनियम के तहत वे मुआवजा पाने के हकदार हैं, बेशक मृतक उन पर आर्थिक रूप से निर्भर थे या नहीं।

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*सुप्रीम कोर्ट के 2बड़े अहम फैसले*

 

1. पहला फैसला?

पहला फैसला में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने एक्सीडेंट से जुड़े एक केस में फैसला सुनाया। बेंच ने हादसे में जान गंवाने वाले शख्स की पत्नी-बेटे और माता-पिता की मुआवजे की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि यदि कोई शख्स लापरवाही से गाड़ी ड्राइव करता है और उसकी स्वयं की गलती से हादसे में उसकी जान चली जाती है तो मरने वाले के परिजनों को दुर्घटना बीमा का भुगतान करने की लिए बीमा कम्पनी बाध्य नहीं होगी। पीड़ित परिवार बीमा कंपनी से भुगतान की उस स्थिति में मांग नहीं कर सकते, जब हादसा बिना किसी बाहरी वजह के हुआ हो और जान गंवाने वाले की स्वयं की गलती से ही हुआ हो।

 

 

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2. दूसरा फैसला‌?

12 अक्टूबर 2010 को हुए हादसे से जुड़े केस में जजमेंट देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि हादसे में जान गंवाने वाले के विवाहित बेटे और बेटियां भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजा पाने के हकदार हैं, बेशक मृतक उन पर आर्थिक रूप से निर्भर था या नहीं। जितेंद्र कुमार एवं अन्य बनाम संजय प्रसाद एवं अन्य केस में फैसला सुनाया गया। हादसे में 64 वर्षीय निरंजन दास की जान गई थी। निरंजन अपने दोस्त के साथ कहीं जा रहे थे कि एक ट्रेलर ने उनकी कार को टक्कर मार दी।

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*ट्रेलर ड्राइवर के खिलाफ लगा धारा*

ट्रेलर ड्राइवर के खिलाफ धारा 279 और 304ए के तहत केस दर्ज हुआ था। मृतक निरंजन के 2 विवाहित बेटें और अविवाहित बेटी ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 166 के तहत 5 करोड़ के मुआवजे की मांग की थी। न्यायालय ने निर्देश दिया कि मुआवज़ा सीधे दोनों बेटों (अपीलकर्ता संख्या 1 और 2) और अविवाहित बेटी (प्रतिवादी संख्या 4) के बैंक खातों में भेजा जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के बच्चों और इंश्योरेंस कंपनी की ओर से पेश किए सबूतों के आधार पर बीमा कंपनी को निर्देश दिया गया कि मुआवजा दिया जाए और बच्चों के बैंक खातों में एक महीने के अंदर ट्रांसफर करे।

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