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Kantola Farming 2024: कंटोल की खेती करने से बन सकते है आप धन्नासेठ,कम लागत हो होगा करोडो का मुनाफा,जाने

कंटोल की खेती करने से बन सकते है आप धन्नासेठ,कम लागत हो होगा करोडो का मुनाफा

Kantola Farming 2024: कंटोल की खेती करने से बन सकते है आप धन्नासेठ,कम लागत हो होगा करोडो का मुनाफा,जाने इस खेती में आपको करोडो का मुनाफा हो सकता है जाने इसे करने का सही तरीका आप हो सकते हो मालामाल जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे

Kantola Farming 2024: कंटोल की खेती करने से बन सकते है आप धन्नासेठ,कम लागत हो होगा करोडो का मुनाफा,जाने

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कंटोला की कीमत 200 रुपये प्रति किलो(The price of Kantola is Rs 200 per kg)

पहले भारत में कैंटोला की खेती सीमित मात्रा में ही होती थी और ज्यादातर किसान कभी-कभार ही इसकी अतिरिक्त उपज को स्थानीय बाजारों में बेचा करते थे. लेकिन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के आह्वान के बाद, फसलों में विविधता लाने और उत्पादकता बढ़ाने पर फिर से जोर दिया जा रहा है. भारतीय बाजार में इसकी अधिक मांग और 200 रुपये प्रति किलो तक की अच्छी कीमत को देखते हुए, कैंटोला किसानों के लिए एक आकर्षक अवसर है।

कंटोला की उन्नत किस्म(improved variety of kantola)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कंटोला की अपार क्षमता को पहचानते हुए इसकी उन्नत किस्म ‘अ Arka ब भरत’ को बाजार में लाया है. यह किस्म अधिक पैदावार देने की क्षमता के लिए जानी जाती है और किसानों को खेती में आने वाली पिछली समस्याओं को दूर करती है. आपको बता दें, इस किस्म का खेती चक्र जनवरी से फरवरी तक चलता है,जिसमें फसल की अवधि अप्रैल से अगस्त तक छह महीने की होती है।

कंटोला की खेती करेले की खेती से ज्यादा फायदेमंद(Cultivation of Kantola is more profitable than cultivation of bitter gourd)

कंटोला के तेजी से बढ़ने और व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त होने के कारण, इसकी व्यावसायिक खेती करेले की खेती से कहीं ज्यादा फायदेमंद है. जहां करेले की खेती ज्यादातर घरों के आंगन तक ही सीमित रहती है और पैदावार भी कम होती है, वहीं कैंटोला व्यावसायिक रूप से खेती करने के लिए एक उपयुक्त विकल्प के रूप में उभर कर रहा है. इसकी लंबी कटाई अवधि इसे और भी फायदेमंद बनाती है. ICAR द्वारा भरत को लाने से देश के विभिन्न क्षेत्रों में कैंटोला की खेती को बढ़ावा मिला है।

कर्नाटक में कंटोला की खेती को बढ़ावा(Promotion of Kantola cultivation in Karnataka)

सेंट्रल हॉर्टिकल्चरल एक्सपेरिमेंट स्टेशन (CHES), चेट्टली ने कर्नाटक के कोडागु, उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जैसे जिलों में व्यावसायिक खेती को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा, CHES ने तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में 250 से अधिक किसानों को भारत के पौधे उपलब्ध कराए, जिससे कंटोला की खेती को व्यापक रूप से अपनाया जा सके।

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किसानों ने जताया आभार(Farmers expressed gratitude)

ICAR-IIHR-CHES में आयोजित बैठक के दौरान किसानों ने तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया।

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