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जीरे की शानदार खेती करके किसान भाई कमा रहे है लाखो में, जानिए खेती का उचित तरीका और होने वाला लाभ

जीरे की शानदार खेती करके किसान भाई कमा रहे है लाखो में, जानिए खेती का उचित तरीका और होने वाला लाभ ,दोस्तों आपको यह तो बताने की जरूरत ही नहीं है कि जरा कितनी महत्वपूर्ण फसल है. आपको बता दे कि इसकी खेती भारत के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से करी जाती हैं. दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे की जीरे की फसल बहुत ही फायदेमंद फसल मारी जाती है क्योंकि भारत के हर घरों में जीरा होता ही है. साथी भारत के बाजार में इसकी डिमांड सालभर बनी रहती है. किसी के साथ आपको बता दे की जीरे की फसल के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान और एक गर्म और शुष्क जलवायु होना काफी फायदेमंद मानी जाती है. वैसे तो यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन आपको बता दे की जीरे की खेती के लिए सबसे अच्छी सुख रेतीला दोमट मिट्टी मानी जाती है. आपको बता दे कि इस मिट्टी में अगर आप इसकी खेती करते हैं तो आपको ज्यादा पैदावार और अच्छी फसल देखने को मिलती है.

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तो दोस्तों अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसकी बुवाई रवि के मौसम यानी कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच बेहतर होती है. इसके बीजों को कीटो और बीमारियों से बचने के लिए उचित बीज उपचार करके सीधे खेत में बोए जाते हैं. किसी के साथ पंक्तियों के बीच का अंतरण लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर तक का रखा जाता है और पौधे के बीच की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. किसी के साथ आपको बता दे कि इसकी अच्छी पैदावार के लिए आपको इस पोषक तत्व और पानी की पर्याप्त आपूर्ति करना आवश्यक होती है. आप इसके फसल में 4 से 6 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से विघटित फॉर्म यार्ड खाद का प्रयोग कर सकते हैं. इसी के साथ आप इसकी फसल के लिए नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम उर्वरक का भी प्रयोग कर सकते हैं. बात करें सिंचाई की तो फसल वृद्धि के प्रारंभिक चरण में आप 7 से 10 दिनों में एक बार सिंचाई कर सकते हैं.

जीरे की शानदार खेती करके किसान भाई कमा रहे है लाखो में, जानिए खेती का उचित तरीका और होने वाला लाभ

फसल बुवाई के बाद आती है इसकी देखरेख की तो आपको बता दे की खरपतवार और फसल के बीच प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए आपको प्रारंभिक समय में फसलों को नियमित रूप से निराई और कुदाल करने की आवश्यकता होती है. वहीं पर आपको बता दे कि इसमें कुछ प्रमुख कीटों जैसे फिट्स ट्रिप्स, वाइट फ्लाई और घुन शामिल है. जो कि इसकी खेती को प्रभावित करती है आप इस पर उचित कीटनाशक छिड़काव करके फसल को बचा सकते हैं. इसी के साथ इसकी फसल मे विल्ट, पाउडर फूफन्दी और बलाइट जैसी बीमारियां हो सकती है जिससे कि आप उचित कवकनाशी का उपयोग करके नियंत्रित कर सकते हैं. किसी के साथ आपको बता दे की बुवाई के 120 से 150 दिनों के बाद धीरे की फसल की कटाई करी जा सकती है. वहीं पर आपको बता दे कि इसकी फसल तब काटी जाती है जब पौधे पीले भूरे रंग के हो जाते हैं और सूखने लगते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि इसके पौधे को आपको छाया के नीचे सूखने हैं और फिर इसे थ्रेश करके मैन्युअल या यांत्रिक रूप से साफ कर सकते हैं.

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तो किसान भाइयों चलिए अब आपको इससे होने वाले लाभ के बारे में बता देते हैं. तो दोस्तों आपको बता दे की जीरे की फसल की उपज मिट्टी के प्रकार जलवायु सिंचाई और प्रबंधन प्रथाओं जैसे विभिन्न चीजों पर निर्भर करती है. आप इसकी जीतनी देखरेख करेंगे आपको इससे उतना ही लाभ देखने को मिलता है. लेकिन फिर भी आपको ऑस्टिन रूप से बता दे कि आप एक हेक्टेयर भूमि से लगभग 400 से 500 किलोग्राम तक के जीरे की पैदावार कर सकते हैं. आपको तो पता ही है कि जरा एक ऐसा व्यंजन है जो कि हर घर में हमेशा उपलब्ध होता है और यह कई तरीकों से औषधि गुणों से भी भरपूर है. आपको बता दे कि भारत में प्रमुख जरा उत्पादक राज्य गुजरात राजस्थान और उत्तर प्रदेश हैं. यहां के किसान भाई हीरे की खेती करके बहुत सारा पैसा कमाते हैं.

 

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