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रायगढ़ न्यूज़ (समाचार)

*✍️रायगढ़ जिले में बदहाल स्वास्थ्य सेवा,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनोरा का बुरा हाल✍️*

 
 
सात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भवन तक नहीं

 
RGH NEWS प्रशांत तिवारी रायगढ़। रायगढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल और लचर हो गई हैं । जिले के स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत पदों और कार्यरत कर्मचारियों के आंकड़ों की आंकलन करें तो इसे बद-से-बदत्तर ही कही जा सकती है।रायगढ़ जिले में चिकित्सा सुविधाओं की बात करें तो यहां 1 मेडिकल कॉलेज ,10 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 338 उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। इनमें एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , 7 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 31 उप स्वास्थ्य केंद्र भवन विहीन हैं। इनमें विशेषज्ञ डॉक्टर 74 पदों के बदले मात्र 11 डॉक्टर ही पदस्थ हैं। चिकित्सा अधिकारी के 95 स्वीकृत पदों के बदले 79 चिकित्सा अधिकारी पदस्थ हैं। इसी तरह सहायक चिकित्साअधिकारी 52 पदों के बदले 48 चिकित्सा अधिकारी नियुक्त किये गए हैं।स्टाफ नर्स 310 पदों के बदले 184 स्टाफ नर्स कार्यरत हैं। वहीं लेब टेक्नीशियन के 79 पद के बदले 53 व्यक्ति ही कार्यरत हैं। नेत्र चिकित्सा सहायक के 56 पदों के बदले 33 नेत्रचिकित्सा सहायक पदस्थ हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला के 404 पदों में 324 तथा पुरूष वर्ग से 348 स्वीकृत पदों में से 257 पदस्थ हैं। जिले के कुल स्वास्थ्य कर्मियों की बात करें तो 1509 पदों के बदले 1054 कर्मी पदस्थ हैं ,शेष 455 पद रिक्त हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि रायगढ़ जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी लचर और बदहाल हैं।डॉ एस एन केशरी मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी रायगढ़ ने उपरोक्त आंकड़े बताते हुए कहा कि जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है।
इन्ही आंकड़ों की पुष्टि के लिए जब हमारी टीम रायगढ़ मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनोरा पहुंचे तो स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल देखने को मिला । लगभग 12 साल पहले ग्राम बनोरा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार ने खोल दी ,महज इसलिए कि लोगों को उत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके ।अस्पताल तो खोल दी गई ,चालू भी हो गया, गांव के एक सामुदायिक भवन के एक कमरे के हाल में संचालित उक्त अस्पताल में न तो डॉक्टर पदस्थ हैं और न एम्बुलेंस की सुविधा है।एक सहायक चिकित्सा अधिकारी आर.एम.ए. पदस्थ तो है, लेकिन वह फील्ड ड्यूटी पर रहते है। एक नर्स ,एक लेब टेक्नीशियन के सहारे संचालित इस बदहाल अस्पताल को लेकर लेब टेक्नीशियन सुनील लांबट ने बताया कि एक ही कमरे में संचालित होने से परेशानी होती है वही लेब भी बंद कमरे में नही है जिससे सड़क की उड़ती डस्ट भी आजाती है ।यहां पदस्थ आर एम ए श्रीमती सुधा पटेल फील्ड में होने के कारण अस्पताल नही पहुंची थी।फार्मासिस्ट कीर्ति पटेल को लोइंग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अटैच किया गया है जबकि नेत्र सहायक जितेंद्र डनसेना मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में अटैच करवा लिया है।अस्पताल में ड्रेसिंग रूम व ड्रेसर भी नही है।एम्बुलेंस के अलावा एम बी बी एस डॉक्टर भी होने चाहिए।वही सरपंच कार्तिक राम साव की माने तो यहां जब से अस्पताल खुला है तब से एमबीबीएस डाक्टर पदस्थ नहीं किया गया है और न ही इस अस्पताल के लिए भवन स्वीकृत किया गया। एक कमरे के अंदर ही लैब ,बेड ,स्टोर रूम ,चिकित्सा कक्ष ,सभी कुछ एक ही कमरे में होने से सफाई का अभाव भी है। यहां तक कि मरीज़ों व स्टाफ के लिए शौचालय तक नहीं है ।प्रसव कक्ष लगभग 800 मीटर दूर एक सरकारी भवन को बनाया गया है।

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