सत्यनारायण बाबा का 35 वां जन्म उत्सव मनाया गया।
रायगढ़। (RGH NEWS ) रायगढ़ से लगे ग्राम कोसमनारा में स्थित तपस्वी बाबा सत्यनारायण बाबाधाम में आज बाबा जी की जन्म दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाबा जी के जन्म उत्सव पर भक्त अपने अपने तरीके से इनका जन्म दिवस मनाते हैं बाबा धाम में आज सुबह से लेकर शाम तक हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचकर मिठाई, केक, फल बांटकर बाबा का आशीर्वाद लेते हैं।
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तपस्वी बाबा सत्यनारायण बचपन से ही बाल हठयोगी थे इनके साधना का अलग ही हट है। शास्त्रों में इसे हठयोगी की संज्ञा दी गई है,हिंदू शास्त्रों में ऋषि मुनियों की 12 से 15 साल जंगलों,पहाड़ों, और कंदराओं में कठोर तपस्या का वर्णन मिलता है। यहां की मान्यता के अनुसार कोसमनारा से 19 किलोमीटर दूर देवरी डूमरपाली में एक साधारण किसान दयानिधि साहू एवं हंसमति साहू के परिवार में 12 जुलाई 1984 को उनका जन्म हुआ था। मां बाप ने नाम रखा हलधर साहू,जो आगे चलकर बाबा सत्यनारायण के नाम से मशहूर हुए। हलधर बचपन से ही अध्यात्म की तरफ रुख कर चुके थे। एक बार गांव के तालाब के बगल में स्थित शिव मंदिर में वह लगातार 7 दिनों तक तपस्या करते रहे,मां-बाप और गांव वालों की समझाइश पर वह घर लौट तो जरूर गए, मगर स्वयं शिव उनके भीतर विराजमान थे, 14 वर्ष की उम्र में 1 दिन वे स्कूल के लिए बस्ता लेकर निकले मगर स्कूल नहीं गए, बाबा सफेद शर्ट और खाकी पैंट के स्कूल ड्रेस में ही,रायगढ़ की ओर रवाना हो गए अपने गांव से 19 किलोमीटर दूर और रायगढ़ से सटे कोसमनारा गांव के एक बंजर जमीन में उन्होंने कुछ पत्थर को इकट्ठा कर शिवलिंग का रूप दिया, और जीभ काटकर समर्पित कर दिया कुछ दिन तक तो किसी को पता नहीं चला, मगर फिर एक दिन जंगल की आग की तरह फैलती चली गई, और लोगों का हुजूम वहां पहुंचने लगा, लगभग 1 सप्ताह के बाद सेवक ने शिवलिंग के बगल में बाबा से आज्ञा लेकर अग्नि प्रज्वलित कर दिया जो आज तक अखंड धूनी के रूप में निरंतर प्रज्वलित होती है।
वहीं जांजगीर से आए रामविलास पिछले 4 वर्षों से बाबा के जन्म उत्सव में शामिल होना बताया और कहा कि यहां आने से आत्मिक सुख शांति मिलती है और हम अपने परिवार की सुख शांति के लिए यहां आते हैं और हमारी मन्नत बाबा पूर्ण करते हैं।