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लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले प्रेमी जोड़ो का होगा पंजीयन?

लिव इन रिलेशनशिप यानी ऐसा प्रेमी जोड़ा जिन्होंने विवाह तो नहीं किया हैं लेकिन एक पति-पत्नी की तरह ही जीवन गुजर बसर कर रहे हो। पिछले कुछ दशकों से विबा विवाह के इस तरह साथ रहें का प्रचलन बढ़ा हैं। खासकर बड़े महानगरों में जहां प्रेमी जोड़े साथ तो रहते हैं लेकिन बिना विवाह के। ऐसे रिलेशन के लिए ज्यादातर रूढ़िवादी प्रथाओं को जिम्मेदार माना जाता हैं जहां घर समाज से जोड़ो को विवाह की अनुमति नहीं मिल पाती और वो उनसे दूर होकर जिंदगी जीते हैं।

वही अब इस तरह के रिलेशनशिप के खिलाफ एक याचिका दायर की गई हैं। याचिका में कह गया है कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं। लिव इन पार्टनर्स की सुरक्षा के लिए उनके संबंध की जानकारी पुलिस के पास होना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट की वकील ममता रानी की याचिका में लिव इन में रह रहे लोगों की संख्या की जानकारी जुटाने की भी मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट केंद्र सरकार को इसका निर्देश दे। याचिकाकर्ता की दलील है कि इस संख्या की जानकारी भी तभी मिल सकेगी जब लिव इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने श्रद्धा और निक्की हत्याकांड जैसे कई मामलों का हवाला दिया है। याचिकाकर्ता ने इस याचिका के पीछे श्रद्धा वॉकर और निक्की यादव जैसे हत्याकांड का भी हवाला दिया हैं

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