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निवेश की पाई-पाई का रखें हिसाब SIP से रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का कैसे मिलता है फायदा? एक्‍सपर्ट की राय

Mutual Fund SIP इक्विटी मार्केट में सीधे जोखिम लेने से डरते हैं, तो म्‍यूचुअल फंड के जरिए कैपिटल मार्केट के आकर्षक रिटर्न का फायदा उठा सकते हैं. डायवर्सिफिकेशन के चलते म्‍यूचुअल फंड में निवेश सीधे इक्विटी की तुलना में सेफ है. आज के समय में म्‍यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान है. इसके लिए आपको एकमुश्‍त बड़ी रकम की जरूरत नहीं है. SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए आप हर महीने म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम में निवेश कर सकते हैं. यह बैंक के आरडी की तरह ही होता है, लेकिन इसमें रिटर्न बाजार की परफॉर्मेंस के आधार पर मिलता है. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि छोटी बचत के रेगुलर निवेश के लिए SIP एक बेहतर विकल्‍प है. SIP का फायदा लंबी अवधि के निवेश में है, जहां कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि SIP रुपी कॉस्ट एवरेजिंग पर काम करता है.

 

क्या है SIP?
SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स में नियमित निवेश का एक तरीका है. इसमें साप्ताहिक, मासिक, तिमाही, सालाना निवेश ऑप्‍शन मिलता है. कम से कम 500 से निवेश कर सकते हैं. कई फंड में मिनिमम निवेश 100 रुपया भी है. SIP के जरिए लंबी अवधि में वेल्‍थ क्रिएशन आसानी से किया जा सकता है. जितनी जल्‍दी SIP शुरू किया जाए, कम्‍पाउंडिंग में उसका उतना ज्‍यादा फायदा मिलता है. बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए SIP के जरिए निवेश ज्‍यादा बेहतर ऑप्‍शन है. SIP से निवेश में जोखिम कम रहता है. भविष्य में SIP की रकम को बढ़ाने का विकल्प भी रहता है.

SIP: रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर अमित कुमार निगम कहते हैं, एक निवेशक बाजार में कब एंट्री करनी है, इसको लेकर तमाम अटकलें लगाता है. यानी, अभी बाजार में पैसा लगाने लायक माहौल है या नहीं. लेकिन, एक अनुभवी पेशेवर के लिए भी यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उसे बाजार में कब एंट्री करना है या कब बाहर निकला है. हम अक्सर भावनाओं पर भरोसा करते हैं और बाजार की स्थितियों से प्रभावित हो जाते हैं. SIP के जरिए निवेश में एक फायदा है कि यह रुपी कॉस्‍ट एवरेजिंग पर काम करता है. यानी, रुपी कॉस्‍ट एवरेजिंग अनुमान लगाने की संभावनाओं को कम कर देता है.

निगम का कहना है, रुपी एवरेजिंग अप्रोच में हम रेगुलर इंटरवल पर एक तय अमाउंट निवेश करते हैं, भले ही बाजार में तेजी या गिरावट हो. यह सुनिश्चित करता है कि जब बाजार गिरावट में हो, तो हम ज्‍यादा यूनिट खरीदें और जब उसमें तेजी हो तो कम. यह अप्रोच लंबी अवधि में प्रति यूनिट हमारी एवरेज कॉस्‍ट को कम करता है. SIP इसी सिद्धांत पर काम करता है. सीधा मतलब यह है कि अगर लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखते हैं, तो गिरावट का ज्यादा असर नहीं होगा.

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SIP AUM ऑलटाइम हाई पर

एसोसिएशन ऑफ म्‍यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में SIP अकाउंट्स की संख्या 5.71 करोड़ के टॉप पर पहुंच गई और 12,693.45 करोड़ रुपये का निवेश आया. SIP AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) ऑलटाइम हाई पर है और यह 6.39 लाख करोड़ रुपये के लेवल पर जा पहुंचा है. अगस्त 2022 में 21.13 लाख नए SIP अकाउंट्स रजिस्टर हुए.

Amfi के मुताबिक, रिटेल निवेशकों की बढ़ते इंटरेस्‍ट के चलते SIP AUM ऑलटाइम हाई पर है. SIP फोलियो और म्यूचुअल फंड के कुल फोलियो और एयूएम भी ऑलटाइम हाई पर है. रिटेल निवेशकों की भागीदारी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट 50 फीसदी से ज्यादा है.

 

Mutual Fund SIP (डिस्‍कलेमर: म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले सभी दस्‍तावेज सावधानी से पढ़ लें और अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

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