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जानिए 30 जनवरी को Mahatma Gandhi Ji की पुण्यतिथि के अलावा क्यों जाना जाता है?याद में बनाया गया गांधीधाम

Mahatma Gandhi’s 74th death anniversary: 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद 12 फरवरी 1948 को उनकी अस्थियों देश के अलग-अलग स्थानों पर बहने वाली पवित्र नदियों में प्रवाहित की गई थी। लुधियाना जालंधर जिले के बीचों-बीच बहने वाले सतलुज दरिया में भी महात्मा गांधी की अस्थियां प्रवाहित की गई थी। फिल्लौर के पास तब गांधी जी की अस्थियां सतलुज में है प्रवाहित की गई थी और बाद में सरकार ने इस जगह पर गांधीधाम की स्थापना की ताकि लोग इस स्मारक पर आकर महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ सकें लेकिन सरकारों की अनदेखी के कारण गांधीधाम हमेशा वीरान सा रहता है।

सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने वाले प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम मोहनदास करमचंद गांधी का था। कोई उन्हें महात्मा तो कोई बापू के नाम से पुकारता है। देश के राष्ट्रपिता होने की उपाधि महात्मा गांधी को मिली है। राष्ट्रपिता यानी हर भारतीय के पिता, जिन्होंने सही राह पर चलकर अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने की सीख दी। एक पिता की तरह लड़ाई झगड़े और खून खराबे से दूर रहने और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। आजादी के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। उस शाम प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी थी। ये दिन इतिहास में गांधीजी की पुण्यतिथि के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। लेकिन क्या आपको पता है कि गांधी पुण्यतिथि के अलावा 30 जनवरी को क्यों खास है? चलिए जानते हैं कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अलावा और क्यों मनाया जाता है?

 

दांडी मार्च के दौरान लुधियाना आए थे महात्मा गांधी

महात्मा गांधी दांडी मार्च के दौरान लुधियाना पहुंचे थे और उन्होंने शहर के प्रसिद्ध बाजार चौड़ा बाजार में भी मार्च निकाला था। उस दौरान उनके दांडी मार्च में बड़ी गिनती में शहरवासी जुड़े थे। महात्मा गांधी ने दांडी मार्च के दौरान लुधियाना में लोगों को विदेशी सामान का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया था।

 

30 जनवरी को शहीद दिवस

भारतवासी 30 जनवरी को शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। इस दिन महात्मा गांधी का निधन हुआ था। बापू की पुण्यतिथि को देश शहीद दिवस के तौर पर मनाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मौके पर दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री पहुंचते हैं और स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को सलामी दी जाती है। पूरे देश में बापू की याद और शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा जाता है।

23 मार्च के शहीद दिवस से अंतर

वैसे भारत में 30 जनवरी के अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है। कई लोग दो अलग अलग तारीख पर शहीद दिवस मनाने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। लेकिन दोनों शहीद दिवस में अंतर है। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, तो वहीं 23 मार्च 1931 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। इसलिए 23 मार्च को अमर शहीदों की याद में अमर शहीद दिवस मनाया जाता है।

30 जनवरी का इतिहास 

1530 : मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का निधन।
1903 : लार्ड कर्जन ने कलकत्ता की इंपीरियल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था, आजादी के बाद इसका नाम बदलकर नेशनल लाइब्रेरी कर दिया गया था।
1948 : महात्मा गांधी की हत्या।

1971 : भारतीय एयरलाइंस के फोक्कर मैत्री विमान का लाहौर से अपहरण कर उसे नष्ट कर दिया गया था।
1985 : लोकसभा ने दल बदल विरोधी कानून पारित किया था।
2007 : अंतरराष्ट्रीय सौदे में भारत की दिग्गज कंपनी टाटा ने एंग्लो डच स्टील निर्माता कंपनी कोरस ग्रुप को 12 अरब डॉलर से अधिक में खरीदा था।

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