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क्या Diwali पर Gold खरीदने का प्लान बना रहे हैं? पहले फिजिकल Gold के फायदे और नुकसान को समझें फिर फैसला लें

white gold दिवाली का पर्व नजदीक आ गया है. इस मौके पर सोने में जमकर खरीदारी की जाती है. भारत गोल्ड का बहुत बड़ा कंज्यूमर है और सोना खरीदना काफी शुभ भी माना जाता है. फिलहाल यह 50 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर पर चल रहा है. पिछले कुछ समय से इसकी कीमत पर दबाव बना हुआ है. अगर आप भी सोना खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि ज्वैलर्स के पास जाकर फिजिकल गोल्ड ही खरीदें. फिजिकल गोल्ड खरीदने के फायदे और नुकसान को समझना जरूरी हो गया है, क्योंकि अब डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ETF को भी खरीदने की सुविधा है. आइए इसके बारे में Credence Wealth Advisors के फाउंडर कीर्तन ए शाह से जानते हैं कि आपके लिए क्या अच्छा विकल्प है.

फिजिकल गोल्ड खरीदने के फायदे

कीर्तन शाह (Kirtan A Shah) ने कहा कि अगर आप किसी ज्वैलर्स के पास जाकर सोना खरीदते हैं तो यह टैंजिबल होता है. मतलब आप इसे छू सकते हैं. यह सीक्रेट बाइंग होती है और लेनदेन कैश में भी किया जा सकता है. इसे ट्रेस करना मुश्किल होता है. इसके अलावा यह बहुत ज्यादा लिक्विड होता है.

फिजिकल गोल्ड के नुकसान

नुकसान यह है कि चोरी का डर रहता है. प्योरिटी को लेकर धोखा हो सकता है. ज्वैलरी बनाने पर मेकिंग चार्ज 35 फीसदी तक होता है. बेचने पर 3 फीसदी का जीएसटी लगता है.फिजिकल गोल्ड बेचना भी कठिन होता है, क्योंकि अलग-अलग ज्वैलर्स के अपने-अपने नियम हैं.

किस तरह होता है टैक्स का हिसाब

white gold टैक्सेशन की बात करें तो अगर तीन साल से पहले फिजिकल गोल्ड बेचते हैं तो कैपिटल गेन शॉर्ट टर्म कहलाता है और यह आपकी टोटल इनकम में शामिल हो जाती है. तीन साल बाद बेचने पर यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है. इसपर 20 फीसदी का टैक्स लगता है.

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