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रायगढ़ न्यूज़ (समाचार)

ऐसी जांच करना है, तो मत करो श्रीमान

  रायगढ़ केआईटी कॉलेज में नंबर घोटाले पर आई जांच टीम की जांच के नाम पर खानापूति

रायगढ़। (RGH NEWS )   रायगढ़। केआईटी इंजीनियरिंग कॉजेज गढ़उमरिया में इन दिनों
एक नया मामला लोगों का चर्चा का विषय बना हुआ है। विगत दिनों इस कॉलेज मेंं सिविल ब्रांच के 8वें सेमेस्टर के लिए सीटी (क्लॉस टेस्ट) की परीक्षा हुई थी। इस परीक्षा को संबंधित विषय के अध्यापक द्वारा ही लिया जाता है और उनके द्वारा ही परीक्षा में अंक दिया जाता है। यहां भी ऐसा ही हुआ लेकिन दूसरी तरह से इस परीक्षा में टीचर द्वारा लगभग 70 छात्रों में से 44 बच्चों को शून्य अंक दे दिया गया। जब मामले की गंभीरता सामने आयी तो कॉलेज प्रबंधन ने फिर से उन्हीं बच्चों को उसी परीक्षा कापी पर पुन: नंबर अंकित कर पास कर दिया गया। इस पूरे मामले की शिकायत की जांच के लिए संचालक, तकनीकी शिक्षा की ओर से केआईटी कॉलेज में जांच टीम पहुंची।
नंबरों के इस खेल में जिम्मेदार कौन है और छात्रों को शून्य नंबर क्यों दिया गया। बताया जा रहा है कि सीटी एक्जाम संबंधित विषय के अध्यापक द्वारा ही लिया जाता है और डिपार्टमेंट के हेड के साथ मिलकर बच्चों को डराकर अवैध उगाही का खेल खेला जाता है। यहां भी वही हुआ,पर जब मामला खुला तो सभी बच्चों को आनन-फानन में नंबर देकर पास कर दिया गया। इस गंभीर मामले की जांच के लिए आई टीम ने केवल खानापूर्ति कर जांच की इतिश्री कर दी है।
वर्षो से खेला जा रहा है यह खेल
बताया जा रहा है, कि केआईटी में क्लास टेस्ट के नाम पर वर्षो से खेला जा रहा है। चूंकि इस बार इन खिलाडिय़ों के समूह में एक नया मेंबर भी आ गया। लेकिन अनुभव की कमी ने इस नंबर के खेल का भंडाफोड़ कर दिया। सूत्रों की माने तो यहां पर अधिकांश विषय के एचओडी अपने सहायकों से मिलकर इस खेल को खेलते आ रहे हैं। परीक्षाफल की दो सीट बनायी जाती है और एक सीट में कम नंबर दिया जाता है और दूसरे में सही नंबर दिये जाते हैं और कम नंबर का सीट दिखाकर बच्चों से अवैध उगाही का खेल खेला जाता है। जब बच्चे फेल होने के डर से इनको मनचाहा राशि दे देते हैं तो उन्हें पास नंबर देते हुए दूसरी सीट जमा कर दी जाती है।
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##कैसे उजागर हुआ मामला##
हर बार की तरह इस बार भी कम नंबर देने के लिए एचओडी की ओर से अपने सहायक को देने का निर्देश देने के बात सामने आ रही है। लेकिन कम अनुभव होने के कारण सिविल ब्रांच 8वें सेमेस्टर के अध्यापक चन्द्रेश साव ने लगभग 44 बच्चों को शून्य नंबर दे दिया। जब बात बिगड़ने लगा तो एचओडी ने नंबर बढ़ाकर पास करने के लिए कहा गया और उसे कहा गया कि यदि कोई पूछेगा तो यह बोलना है कि कम अटेंडेंस होने के कारण मैं ऐसा किया हूं, और पैसों के लेन-देन का खेल बिगड़ गया।
जांच टीम किसके दबाव में
केआईटी पहुंची जांच टीम किसके दबाव में आई है। यह तो उन्हें ही पता होगा। लेकिन जांच टीम ने जांच में खानापूति का खेल किया है। यह भी हो सकता है कि जांच टीम के प्रभारी भी अपने यहां ऐसा खेल खेलते हों और उनके इस खेल की जानकारी केआईटी कॉलेज के इस खेल में माहिर लोग भी जानते हों या इसमें शामिल हों।
अधूरी जांच की जरूरत क्यों
केआईटी कॉलेज पहुंची जांच टीम इस मामले की अधूरी जांच कर मामले को निपटाने में लगी हुई है। बताया जा रहा है कि उनके द्वारा इस खेल के पीड़ित छात्रों से बयान नहीं लिया गया है। यहां तक कि शून्य नंबर देने वाले व्याख्याता चन्द्रेश साहू का भी बयान नहीं लिया गया। और तो और इस खेल के मुखिया को भी इस टीम ने बख्स दिया है और उनका बयान भी नहीं लिया है। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ केआईटी के प्राचार्य का बयान भी लेना जांच टीम ने उचित नहीं समझा। मात्र उपस्थिति देकर जांच का दिखावा कर दिया गया।
##क्या छात्रों के भविष्य से होता
रहेगा खिलवाड़##
केआईटी कॉलेज में आये इस मामले की बात यदि सही है, तो वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य कैसा होगा, इसकी कल्पना मात्र की जा सकती है। यह कब से चल रहा था और यदि ऐसी ही जांच होगी तो कब तक यह खेल चलता रहेगा और बच्चों का भविष्य खराब होता रहेगा यह तो भगवान ही जाने।
 

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