छत्तीसगढ़

✍️ बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है छठ महापर्व , 36 घंटे का निर्जला व्रत रखी जाती है ✍️

 
(RGH NEWS). नवरात्र, दुर्गा पूजा की तरह छठ पूजा भी हिंदूओं का प्रमुख त्यौहार माना जाता है. छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है. नहाय-खाय से छठ महापर्व का आगाज हो गया. छठ में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. छठी मइया की पूजा की शुरुआत चतुर्थी को नहाए-खाय से होती है. इसके अगले दिन खरना या लोहंडा (इसमें प्रसाद में गन्ने के रस से बनी खीर दी जाती है). षष्ठी (2 नवंबर) को शाम और सप्तमी (3 नवंबर) सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा की समाप्ति की जाती है. हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाये जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि कई नामों से जाना जाता है.
क्यों करते हैं छठ पूजा
छठ पूजा करने या उपवास रखने के सबके अपने अपने कारण होते हैं लेकिन मुख्य रूप से छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिये की जाती है. सूर्य देव की कृपा से सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव की कृपा से घर में धन धान्य के भंडार भरे रहते हैं. छठ माई संतान प्रदान करती हैं. सूर्य सी श्रेष्ठ संतान के लिये भी यह उपवास रखा जाता है. अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये भी इस व्रत को रखा जाता है.
छठी मइया की पूजा विधि
नहाय-खाय के दिन सभी व्रती सिर्फ शुद्ध आहार का सेवन करें.
खरना या लोहंडा के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं. सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें.
छठ के दिन घर में बने हुए पकवानों को बड़ी टोकरी में भरें और घाट पर जाएं.
घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाएं.
व्रती घाट में स्नान कर के लिए उतरें और दोनों हाथों में डाल को लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
सूर्यास्त के बाद घर जाकर परिवार के साथ रात को सूर्य देवता का ध्यान और जागरण करें. इस जागरण में छठी मइया के गीतों को सुनें.
सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सारे व्रती घाट पर पहुंचे. इस दौरान वो पकवानों की टोकरियों, नारियल और फलों को साथ रखें.
सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य दें.
छठी की कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करें.
आखिर में सारे व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें.
अर्घ्‍य का मुहूर्त
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य – शनिवार शाम 5.32 बजे तक
प्रात:काल सूर्य को अर्घ्‍य- रविवार सुबह 6.29 बजे के बाद
व्रत में ये चीजें रखती है खास महत्व
 
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