PACL Fund पर आया बड़ा अपडेट
PACL Fund Refund Update:अगर आपका या फिर आपके किसी भी जानने का पैसा पीएसीएल में फंसा हुआ है तो आगे आने वाले कई दिनों तक आपको पैसा नहीं मिलेगा. सेबी की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है. सेबी के एक उच्च अधिकारी ने समिति को इस बारे में जानकारी दी है. आइए आपको बातते हैं कि क्यों और कितने दिनों तक आपको रिफंड का पैसा नहीं मिलेगा.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (SEBI) के अधिकारी ने बताया है कि टेक्निकल दिक्कतों की वजह से पीएसीएल निवेशकों को रिफंड का पैसा आगे आने वाले 5 दिनों तक नहीं मिल पाएगा. ‘रिफंड पोर्टल’ पांच दिन तक ‘ठप’ रहेंगे, जिसकी वजह से खातों में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा. यह समिति ही पीएसीएल निवेशकों की उनका पैसा वापस लौटाने की प्रक्रिया देख रही है.
Read more:PM Kisan की 13वीं किस्त से पहले सरकार का बड़ा ऐलान
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली समिति निवेशकों की पुष्टि करने के बाद संपत्तियों के निपटान के जरिए उनका पैसा लौटाने की प्रक्रिया देख रही है. समिति कई चरणों में रिफंड की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर चुकी है. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 2016 में सेबी ने इस समिति का गठन किया था.
इस समिति ने अक्टूबर में निवेशकों को 15,000 रुपये वापस करने के लिए आवेदन मांगे थे, जिसके लिए आप जनवरी 2023 तक अप्लाई कर सकते हैं. समिति की ओर से ही 15,000 रुपये तक के दावों वाले निवेशकों के लिए एक ‘सुविधा’ तैयार की थी. यह सुविधा उन निवेशकों के लिए थी जिनके आवेदनों में कुछ कमी रह गई थी. ये निवेशक सेबीपीएसीएलरिफंड.सीओ.इन पोर्टल पर इन खामियों को दुरुस्त कर सकते हैं.
यह सुविधा एक नवंबर, 2022 से शुरू होकर 31 जनवरी, 2023 तक उपलब्ध कराई गई थी. सेबी की वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक टेक्निकल दिक्कतों की वजह से रिफंड पोर्टल पर पांच दिन तक आवेदन दोबारा जमा नहीं किए जा सकेंगें.
क्या है कंपनी का कारोबार?
PACL Fund Refund Update:पर्ल ग्रुप (Pearl Group) के नाम से भी जानी जाने वाली पीएसीएल ने कृषि और रियल एस्टेट व्यवसाय के नाम पर धन जुटाया था. सेबी ने पाया था कि कंपनी ने 18 साल की अवधि में एक गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) के जरिये 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई थी. बाजार नियामक ने दिसंबर, 2015 को पीएसीएल और उसके नौ प्रवर्तकों समेत निदेशकों की सभी संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया था, जो कि निवेशकों के पैसे वापस करने में विफल रहे थे.