नई दिल्ली. दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. हिमाचल, राजस्थान के कई हिस्सों में भी भूकंप की खबर है. भारत के अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान, तजाकिस्तान और चीन में भी झटके महसूस किए. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान बताया जा रहा है. इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.7 है
धरती के अंदर की प्लेटों का खिसकना बनता है वजह
दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. इस सिद्धांत को अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिकक और हिंदी में प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत लगभग 80 से 100 किलोमीटर मोटी होती है जिसे स्थल मंडल कहते हैं. पृथ्वी के इस भाग में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेटें होती हैं जो तैरती रहती हैं.
सामान्य रूप से यह प्लेटें 10-40 मिलिमीटर प्रति वर्ष की गति से गतिशील रहती हैं. हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिलिमीटर प्रति वर्ष भी होती है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है.देश में एक नहीं कई भूकंप जोन
भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है. भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है. जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है.उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.