देश

केंद्र सरकार का 450 में सिलेंडर देने से इनकार…बीजेपी ने किया था वादा

Rajsthan News   केंद्र सरकार ने राजस्थान सहित देश के किसी भी राज्य में 450 रुपए में LPG सिलेंडर देने से साफ इनकार कर दिया है। राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली के सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की किसी योजना से इनकार किया है।

जावेद अली ने सवाल में पूछा था- क्या राजस्थान में 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की है? क्या सरकार 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की योजना पर काम कर रही है? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लिखा- नहीं, भारत सरकार ने राजस्थान में इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है। इसकी कोई योजना नहीं है।

Read more: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुंगेली व्यापार मेला के ब्रोसर का किया विमोचन

केंद्र सरकार के जवाब के मायने

बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। गहलोत सरकार ने उज्जवला परिवारों को 500 रुपए में सिलेंडर देना शुरू किया था। गहलोत राज में राज्य सरकार ही सब्सिडी का पैसा वहन करती थी। अब राज्य में BJP की सरकार है। 450 रुपए में सिलेंडर देने की योजना पर बचा हुआ पैसा आगे भी राज्य सरकार को ही देना होगा। केंद्र सरकार इसमें कोई मदद नहीं देगी।

पेट्रोलियम राज्य मंत्री ने दिया जवाब

केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री ने जवाब में आगे लिखा- सरकार ने 30 अगस्त 2023 को एलपीजी सिलेंडर पर 200 रुपए की कमी की है। भारत सरकार 2022-23 और 2023-24 में भी 12 सिलेंडरों की रिफिलिंग पर प्रति सिलेंडर 200 रुपए की सब्सिडी दे रही है। अक्टूबर 2023 से उज्जवला योजना में सब्सिडी फिर बढ़ाकर प्रति सिलेंडर 300 रुपए की गई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में 14.2 किलो के एक सिलेंडर की कीमत सब्सिडी के बाद 603 रुपए है, यह कीमत दिल्ली की है।

Rajsthan News   भारत अपनी कुल एलपीजी उपभोग का 60% विदेश से आयात करता है। एलपीजी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मार्केट पर आधारित होती हैं। 2020-21 से लेकर 2022 तक की अवधि में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमतें 415 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 712 रुपए प्रति टन हो गई हैं। तेल कंपनियां इस वजह से 28 हजार करोड़ के घाटे में थीं, जिनमें से भारत सरकार ने 22 हजार करोड़ रुपए का वन टाइम कम्पनसेशन दिया गया।

 

 

 

 

 

 

Related Articles

Back to top button