एक्सपर्ट्स ने बताए अपनी मानसिक सेहत को कैसे रखें दुरुस्त
पिछले दो सालों से कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया को साल 2021 में भी भावनात्मक रूप से भी बहुत नुकसान झेलना पड़ा. जिसका नतीजा ये हुआ कि दुनिया दिमागी सेहत यानी मेंटल हेल्थ (Mental Health) को लेकर सतर्क हुई है. क्योंकि इस पूरे दौर में लोगों को सबसे ज्यादा समस्या जो आई, वो थी अपनी वर्किंग और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बनाने की. लोगों को घर से काम करना पड़ा और इसी दौरान घर को भी देखना पड़ा. और इसी वजह से लोगों को कई तरह के तनाव का सामना करना पड़ा. ऐसे में ये एक बड़े चैलेंज जैसा बन गया, काम और जीवन में संतुलन कैसे बना सकते हैं, इसके लिए सच्ची कहानियों में से एक्सपर्ट्स ने कुछ बेस्ट एडवाइज चुनी हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) में छपी रिपोर्ट के हवाले से दैनिक भास्कर अखबार ने इन्हें छापा है. एक्सपर्ट्स की बताई ये सलाह आपके लिए नए साल में खुश रहने में मददगार साबित हो सकती हैं.
साल 2021 में लोगों को पता था कि वो अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं. ये थकान, डिप्रेशन या बोरियत (fatigue, depression, or boredom) नहीं थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिमागी सेहत को बिगाड़ने में सुस्ती का बड़ा हाथ होता है, जिसे अक्सर हम अनदेखा करते हैं. ये अवसाद और खुशी के बीच का खालीपन होता है, जिसका सेहत पर असर पड़ता है.
अपनी भावनाओं को दें कोई नाम
यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया में साइकोलॉजी के प्रोफेसर ने सुस्ती दूर करने का सबसे ताकतवर उपाय बताया कि अपनी भावनाओं को नाम दिया जाए. इस तरह आप उस भावना को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.
टारगेट बनाकर करें डेली रूटीन वर्क
स्टडी के जरिए पता लगा है कि खुश और संतुष्ट रहने के लिए कुछ सरल तरीके अपनाकर अपनी भावनात्मक बैट्री को बार-बार रीचार्ज किया जा सकता है. इस शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तालमेल को साइकोलॉजिस्ट ‘फ्लरशिंग (Flourishing)’ कहते हैं. आप अपने रोज के काम उद्देश्य के साथ करें. किचन साफ करके या कपड़े धोकर भी उपलब्धि का अहसास हो सकता है. दस मिनट का टाइमर लगाकर जॉगिंग या मेडिटेशन कर सकते हैं. छोटी उपलब्धियों को भी सेलिब्रेट करें. इस तरह आप खुशी के छोटे-छोटे मौके हासिल कर पाएंगे. जो आपको भावनात्मक मजबूती देंगे.
वर्तमान में जीना शुरू करें
ब्राउन यूनिवर्सिटी माइंडफुलनेस सेंटर (Brown University Mindfulness Center) के बताते हैं कि दिमाग कंप्यूटर की तरह है. इसमें सीमित मेमोरी है इसलिए एंग्जाइटी और स्ट्रेस के चलते इसके लिए सोचना व समस्याओं का हल निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है. पहली चीज जो हमें करना चाहिए वह ये कि वर्तमान में जीना शुरू करें. इसके लिए आप जहां हैं वहीं मेडिटेशन कर सकते है. इस तरह आप हमेशा शांत बने रहेंगे.
नुकसान को स्वीकारना जरूरी
कई बार ऐसा होता है कि हजारों परेशानियों, दुख, तकलीफों के बीच कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम कैंसिल हो गया या परिवार के साथ समय नहीं बिता पाएं हैं तो बुरा बहुत लगता है, लेकिन हम आगे बढ़ जाते हैं. मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हर नुकसान को स्वीकारना और उसका दुख मनाना जरूरी है. हमें खुद को रोने की इजाजत देनी चाहिए. एक बार यह पता लगे कि आपका दुख सच्चा है तो इससे उबरने के तरीके खोजें. पेड़ लगाकर भी दुख जाहिर कर सकते हैं.
खुद को रिचार्ज करने के लिए ऑफ लें
कभी कभी ऐसा होता है कि आपका शरीर और दिमाग ब्रेक चाहता है, लेकिन आप नहीं ले पाते हैं, तो ऐसे में मेंटल हेल्थ डे ऑफ लेकर खुद को रीचार्ज कर सकते हैं. एक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि आप बीमार हैं तो छुट्टी लेना बुरा नहीं लगेगा. किसी को बताने की जरूरत नहीं कि क्यों छुट्टी ले रहे हैं. केवल यह बताएं कि आपको सिक डे लीव चाहिए. किसी तरह का गिल्ट मन में ना आने दें, ना ही दिनभर मैसेज चेक करें. वो करें जिससे खुशी महसूस हो या जो आपको रीचार्ज करने में मदद दे.
खुद में आत्म दया का भाव लाएं
कोरोना दौरान घर में रहने से जब लोगों का वजन बढ़ने लगा या उन्होंने एक्सरसाइज कम कर दी तो वो खुद को कमतर मानने लगे और आत्म ग्लानि महसूस करने लगे. मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शेमिंग (shaming) से प्रोडक्टिविटी घट जाती है. बेहतर हो अगर आप “सेल्फ कंप्रेशन (self compression)’ यानि आत्म दया का भाव लाएं. ऐसा करने का सबसे सरल तरीका यह है कि खुद से सवाल करें कि ‘अभी मुझे किस चीज की जरूरत है?’